लेखक की कलम से

भादो मास का स्वागत

 

कलमकार के पीछे पीछे भागे सावन और भादो
गांव-गांव और खेत खेत में शोभ रहा कादो
पानी पानी धानी मेरी हवा तू चूनर लहरा दो
लहराते धानों से बोली कलम की याद दिला दो!

   ©लता प्रासर, पटना, बिहार   

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