लेखक की कलम से
ऋतु वसंत और हमारा जीवन …
ऋतु वसंत के आगमन से प्रफुल्लित है सकल समाज।
धरा की अपनी हरयाली संग प्रफुल्लित है सकल समाज।।
नव पल्लव की कोमल पत्ती यह एहसास कराती है।
वसंत के आगमन की कोकिल गा कर राग सुनाती है।।
ऋतु राज के आगमन से हो रहा नव ऊर्जा संचार।
पतझड़ और वसंत के सन्धि पर हो रहा नव ऊर्जा संचार।।
विद्या की देवी का आगमन कर वीणा और पुस्तक साथ।
मन मस्तिष्क के अँधियारे को प्रकाशपुंज से करने साफ।।
ओस गिरे जो हरित दुर्वा पर उसपर गिरे जो अरुण प्रकाश।
मन में बस एहसास कराता मोती बिछी हो भूतल खास।।
जीवन के रंगों में जब आता वो फाग त्योहार।
मानस के जीवन मे भरता खुशियों के वो रंग त्योहार।।
इंद्र धनुषी इस जीवन मे फैला रहे सतरंगी प्रकाश।
वसंत ऋतु सा सुहाना जीवन फैलाते रहे सतरंगी प्रकाश।।
©कमलेश झा, शिवदुर्गा विहार फरीदाबाद