छत्तीसगढ़बिलासपुर

किसानों की मनमानी, सीएम ने मांगा था दान में पैरा, खेत पर ही जला रहे; पर्यावरण को पहुंच रहा नुकसान …

बिलासपुर । राज्य शासन भले ही किसानों को गर्मी की सीजन में धान की फसल की बोनी करने हतोत्साहित कर रही है। धान के बदलने अन्य फसल उगाने पर प्रति एकड़ 10 हजार रुपए किसान को देने का प्रावधान रखा गया है। पर इसके बावजूद धान की खेती हो रही है। धान की खेती करने की जल्दी में किसान पराली में आग लगा देते हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है।

किसान न कृषि विभाग की सुन रहे हैं और न ही उन्हें पर्यावरण के प्रदूषित होने की चिंता है। यहीं कारण है कि इन दिनों जिस भी ग्रामीण इलाके में जाएं, पराली जलते हुए नजर आ जा रहा है। खुद मुख्यमंत्री के स्पष्ट रूप से मना करने के बाद भी वे पैरा जला रहे हैं। बिल्हा में 19 दिसंबर को गुरु घासीदास जयंती कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिले के किसानों से पैरा दान में देने की अपील की थी। उन्होंने आग्रह किया था कि वे गोठानों में मवेशियों के लिए अपने खेतों का पैरा दान में दे दें।

उन्होंने पराली नहीं जलाने का आग्रह करते हुए कहा था कि इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। पर किसानों को जैसे किसी भी परवाह नहीं है। इन दिनों जिले के लगभग हर इलाके में पराली जलते हुए दिखाई दे रहा है। कृषि विभाग के उप संचालक पीडी हथेश्वर कहते हैं कि किसान यदि चाहें तो इसे रोक सकते हैं। ऐसा भी नहीं है कि वर्तमान में किसानों में जागरुकता की कमी हो।

जानकारों का मानना है कि अब लगभग 90 फीसदी खेतों में फसल की कटाई हार्वेस्टर से हो रही है। खेत ही खलिहान बन चुके हैं और हार्वेस्टर से कटाई के दौरान पैरा खेत में ही रह जाता है। गांवों में मवेशियों की संख्या भी घटती जा रही है। ऐसे में पैरा खेतों से या तो नहीं उठाते या उठाते हैं तो बहुत कम। इसे कहीं ले जाने के खर्च से बचने के लिए वे उसे आग लगा देते हैं।

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