कोरबाछत्तीसगढ़

साहबों की आंखों का नूर बनने की चाहत में प्रशासन का मैदानी अमला आम लोगों से तुगलकी बर्ताव पर उतरा, विधायक ननकीराम कंवर से पीड़ित ने मदद की लगाई गुहार

कोरबा (गेंदलाल शुक्ल)। साहबों की आंखों का नूर बनने की चाहत में प्रशासन का मैदानी अमला आम लोगों से तुगलकी बर्ताव पर उतर आया है। रामपुर विधायक और पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने एक किसान की पुस्तैनी जमीन पर बल पूर्वक गोठान बनाने की कड़ी आलोचना कर दोषी पटवारी पर कार्रवाई की मांग की है।

वाकया इस प्रकार है कि करतला तहसील के ग्राम फत्तेगंज निवासी कृषक चैतराम पिता बेदराम कंवर के नाम व कब्जे की पुश्तैनी भूमि खसरा नंबर 678/9, 547/3 एवं 678/11 रकबा क्रमश: 0.40 एकड़, 0.32 एकड़ एवं 1.70 एकड़ एवं पट्टे की भूमि खसरा नंबर 678/1 से रकबा 2.70 एकड़ कुल खसरा नंबर 04 कुल रकबा 5.12 एकड़ भूमि एक ही जगह पर संलग्न है।

चैतराम इसमें पीढ़ी दर पीढ़ी खेती करता चला आ रहा है। इसी साल जून माह में ग्राम पंचायत फत्तेगंज के सदस्यों एवं रोजगार सहायक द्वारा चैत राम के दो खेत को जेसीबी मशीन लगवाकर पटवा दिया गया। चैत राम द्वारा मना किए जाने पर भी पंचायत के सदस्यों ने हल्का पटवारी को मौके पर बुलाकर बिना आदेश के दबावपूर्वक नरवा -टिकरा को नपवा कर चैतराम के भूमि को शासकीय बता दिया गया व पंचनामा पर धमकी देकर अंगूठा लगवा लिया गया। जबरन, बल पूर्वक ग्राम पंचायत के सदस्यों द्वारा ली गई भूमि करीब एक एकड़ है।

चैतराम ने कलेक्टर को आवेदन सौंपकर जबरन ली गई भूमि को वापस दिलाने की प्रार्थना की। आवेदन के एक माह बीत जाने के बाद भी कलेक्टर द्वारा कोई कार्यवाही नहीं होने पर पीड़ित चैतराम ने विधायक ननकीराम कंवर से मदद की गुहार लगाई है। श्री कंवर ने भू-स्वामी हक की भूमि पर गौठान निर्माण कैसे किया गया? यह सवाल उठाते हुए इसके संबंध में हल्का पटवारी से स्पष्टीकरण लेकर कार्रवाई करने हेतु कलेक्टर को पत्र लिखा है।

लेकिन सच्चाई तो यह है कि जिस तरह मैदानी अमले में नम्बर बढ़ाने की होड़ मची है, उसी तरह वरिष्ठ अधिकारियों में सी एम के सामने चेहरा चमकाने की स्पर्धा चल रही है और इसी वजह से ऊपर से नीचे तक मनमानी हो रही है। याद रहे कि नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी योजना प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ड्रीम प्रोजेक्ट है। ऐसे में अफसरों को तुगलकी व्यवहार करना ही पड़ेगा। ऊपर से यह योजना निजी हित साधन का भी जरिया बना हुआ है, ऐसे में गांव गांव में चैतराम मिलें तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

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