छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में कोरोना से बचने के लिए कड़े कदम उठाने की जरुरत

✍अमित जोगी, पूर्व विधायक एवं प्रदेश अध्यक्ष JCC

कोरोना का इलाज करने छत्तीसगढ़ सरकार के पास न तो संसाधन है और न ही सोच। वो चाहे तो कोरोना को प्रदेश में फैलने से रोक ज़रूर सकती है। किंतु जरा सी भी देरी घातक होगी; कोरोना 8 से 16 नहीं बल्कि सीधे 64 लोगों को और 64 से सीधे 4096 लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है। वैक्सीन आने में कम से कम 18 महीने लगे सकते हैं। तब तक प्रदेश की 70% आबादी संक्रमित हो चुकी होगी। इसलिए सरकार को जो कुछ भी करना है, उसे करने के लिए समय आज और अभी है। इस संबंध में मैं अपनी ओर से राजनीति के संकीर्ण सीमाओं को लांघकर, कुछ महत्वपूर्ण बातें रख रहा हूँ।

A. इतालवी गलती से सीख : कोरोना का क्या रोना है ?

विश्व के सबसे प्रभावशाली बैंकों में गिने जाने वाले गोल्डमैन सैक्स के भूतपूर्व मुखिया जिम ओ’नील ने ठीक ही कहा है कि “हम सबको परमपिता परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहिए कि कोरोना का संक्रमण भारत से शुरू नहीं हुआ क्योंकि भारत के पास चीन जैसे ठोस, कठोर और त्वरित कदम उठाने की न तो राजनीतिक इच्छाशक्ति है, न प्रशासनिक क़ाबिलियत है और न ही चिकित्सकीय संसाधन है।” इसलिए भारत के लिए चीन का अनुसरण करना अव्यवहारिक होगा। हमको चीन की अपेक्षा इटली- जो छत्तीसगढ़ के सत्ताधारी दल कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष का मायका भी है, के सफल और असफल प्रयासों, दोनों से सीख लेनी चाहिए। इटली में करोना से संक्रमित लोगों की संख्या 250 पार होने के बाद इतालवी सरकार ने तीन चरणों में कदम उठाए।

  • (1) 8 मार्च से सभी बड़े समारोहों और भीड़ के जमावड़े पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगा दिया। इसमें मनोरंजन और शैक्षणिक संस्थान के साथ वैवाहिक और अंतिम संस्कार जैसे सामाजिक आयोजन भी सम्मिलित किए गए। 
  •  (2) 9 मार्च से सभी नागरिकों पर, आपात-स्थिति के अलावा, अपने-अपने कस्बों से बाहर जाने पर रोक लगा दी।
  • (3) 12 मार्च से राशन (खाद्य-सामग्री) और दवाई दुकानों को छोड़कर सभी भोजनालयों, मदिरालयों, दुकानों और व्यवसायिक संस्थानों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया।

इसके बावजूद करोना से चीन के बाद सबसे ज्यादा मृत्यु इटली में ही हो रही है जबकि वहां की स्वास्थ्य सेवाओं को स्कैन्डिनेविया के राष्ट्रों के बाद यूरोप में सबसे बेहतर माना जाता रहा है। (ग्रेट ब्रिटेन- जहाँ सबके निःशुल्क इलाज के लिए NHS (राष्ट्रीय स्वास्थ सेवा) जैसी बेहतरीन व्यवस्था लागू है- Brexit के बाद यूरोप में नहीं है।)

इटली के लोम्बार्डी जैसे साधन-संपन्न और समृद्ध इलाक़े के अस्पतालों पर इतना बोझ बढ़ गया है कि वहाँ केवल तुलनात्मक रूप से ऐसे तंदुरुस्त और युवा मरीज़ों को भर्ती किया जा रहा है जिनके स्वस्थ होने की संभावना अधिक है। स्थिति ने इतना विकराल रूप धारण कर लिया है कि 13 मार्च को इटली के स्वास्थ विभाग ने पूर्व से अस्वस्थ और वृद्ध लोगों को सिरे से अस्पतालों में भर्ती नहीं करने का आदेश तक पारित कर दिया।

भारत और इटली की राजनैतिक व्यवस्थाओं में समानता ज़रूर है किंतु इटली की प्रति व्यक्ति आय भारत से कम से कम 10 गुना अधिक है। ऐसे में जब 7 दिनों में इटली जैसे विकसित राष्ट्र की इतनी दुर्दशा हो सकती है तो भारत में क्या होगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। मेरा यह मानना है कि इटली ने कोरोना संक्रमण को रोकने के फैसले तो सही किये किंतु फैसले लेने में अनावश्यक रूप से 4 दिन- 8 मार्च से 12 मार्च- की देरी कर दी जिसका परिणाम इटली की जनता को भुगतना पड़ रहा है। 8 से 12 मार्च के बीच 3 चरणों में प्रतिबंध लगाने की जगह इतालवी सरकार को 8 मार्च को ही दिल कड़ा करके सभी प्रतिबंध एक साथ लागू कर देना चाहिए था।

B. ये कोरोना-कोरोना क्या है?

चीन का अनुसरण करना भले ही हमारे लिए संभव नहीं है किंतु हूबे प्रांत (राजधानी: वूहान) में संक्रमण को रोकने में तुलनात्मक रूप से उसकी त्वरित कार्यवाही के कारण विश्व के वैज्ञानिक बहुत कम समय में कोरोना वायरस के बारे में बहुत कुछ समझ चुके हैं। इनमें से चार जानकारियां हमारे लिए विशेष महत्व रखतीं हैं।

  • (1) SARS-COV-2 या COVID-19 वायरस मानव शरीर के उन जीवकोषों पर हमला करता है जिनकी झिल्ली (परत) में ACE-2 प्रोटीन पाए जाते हैं। ऐसे ACE-2 वाले जीवकोष शरीर के श्वसन तंत्र जैसे फेफड़े और सांस की नली में व्यापक रूप से पाए जाते हैं। ACE-2 प्रोटीन की विशेषता यह है कि वह अधिकांशतः उच्च रक्तचाप के लोगों में पाया जाता है (जिनमें संयोगवश, स्वाइन-फ़्लू और हेपटाइटिस-B का भुक्तभोगी, मैं भी शामिल हूँ)।
  • (2) चीन- और बाक़ी 114 प्रभावित राष्ट्रों से दूसरी मुख्य जानकारी यह मिली है कि कोरोना का प्रभाव 39 वर्ष की आयु से कम के लोगों में नगण्य है; 70 से 80 वर्ष की आयु में कोरोना की 9% मृत्यु दर है; तथा 80 वर्ष से अधिक उम्र आयु वालों में 18% मृत्यु दर है।
  • हालांकि न्यूयॉर्क टाइम्स में अमरीका के सेंटर फ़ोर डिज़ीज़ कंट्रोल (CDC) द्वारा प्रकाशित एक शोध के अनुसार BPL (ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले) परिवारों में 55 वर्ष से अधिक आयु वालों में भी 9-18% मृत्यु दर अनुमानित है- जो कि छत्तीसगढ़ की 48% (1 करोड़ से अधिक) आबादी है। इस कारण से छत्तीसगढ़ को अन्य राज्यों की अपेक्षा ज़्यादा सचेत और सक्रीय रहना पड़ेगा।
  • (3) अभी तक कोरोना वायरस से निपटने की कोई वैक्सीन नहीं बनी है किंतु इससे संक्रमित लोगों का इलाज वर्तमान में मलेरिया, HIV, हेपिटाइटिस-C, इनफ़्लुएंज़ा (श्लैष्मिक ज्वर) और गठिया में प्रयोग की जा रही दवाइयों (क्रमशः chloroquine, kaletra, interferon alfa-2B, remdesivir, favipiravir, actemra और kevzara) के मिश्रण से किया जा रहा है।
  • कोरोना वायरस की फ़िज़ीआलजी (शरीर-क्रिया विज्ञान) के बारे में अब तक जो समझ में आया है, उससे लगता है उसे नष्ट करने में इबोला संक्रमण के दौरान प्रयोग में लाई जा रही दवाई REMDESIVIR सबसे प्रभावी सिद्ध हो सकती है। हालांकि इबोला के इलाज में rVSV-ZEBOV वैक्सीन के सफल होने के कारण अमरीका में बनाई जा रही उपरोक्त दवाई के विकास में 2016 के बाद शिथिलता ज़रूर आ गई थी।
  • (4) अमरीका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प कुछ भी कहें लेकिन इस बात का कहीं पर भी कोई वैज्ञानिक आधार नहीं पाया गया है कि गर्मी (अधिक तापमान) से कोरोना संक्रमण में किसी प्रकार की कमी आती है। इसलिए छत्तीसगढ़ में ख़ासकर, गर्मी को ग़ैर-ज़िम्मेदारी का कारण नहीं बनने दिया जा सकता है।

C. कोरोना से डरो ना!

उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए मैं सरकार को 8 सुझाव दे रहा हूँ, जिसके लिए उसे इसी बजट सत्र में वित्तीय प्रावधान पारित करा देना चाहिए।

  • (1) इटली की गलतियों से सीख लेते हुए तत्काल सभी बड़े समारोह और भीड़ के जमावड़े (मनोरंजन और शैक्षणिक संस्थान तथा विवाह और अंतिम संस्कार जैसे सामाजिक आयोजन) पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए; प्रदेश के सभी नागरिकों पर, आपात-स्थिति के अलावा, अपने-अपने कस्बों से बाहर जाने पर रोक लगा देनी चाहिए; और राशन (खाद्य-सामग्री) और दवाई दुकानों को छोड़कर सभी भोजनालयों (रेस्टौरांत), मदिरालयों (बार), दुकानों और व्यवसायिक संस्थानों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया जाना चाहिए। इससे लोगों को कष्ट- और नुक़सान- जरूर होगा लेकिन लाखों लोगों की जान भी बचेगी।
  • भले और बुरे के लिए, ‘सोशल डिस्टन्सिंग’ (एक दूसरे से शारीरिक दूरी रखने के लिए सामाजिक दूरी बनाना) कोरोना से बचने का सबसे प्रचलित गुरु मंत्र बन चुका है हालाँकि इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि सोशल डिस्टन्सिंग, वृद्ध और बीमार लोगों के लिए सोशल आयसोलेशन (सामाजिक अकेलापन) न बन पाए। इसके लिए मोबाइल फ़ोन, सोशल मीडिया, वीडियो कॉलिंग और ऑनलाइन गेमिंग कारगर उपाय सिद्ध हो सकते हैं। कोरोना के बहाने ही सही, आधुनिक डिजिटल टेक्नॉलजी के उपयोग के बारे में हमारे प्रदेश के नवयुवक अपने वृद्धजनों को जानकारी दे सकेंगे। आख़िरकार, हमारी सर्वोपरि प्राथमिकता अपने परिवार के बीमारों और बुजुर्गों की कोरोना की अभूतपूर्व महामारी से जान बचाना होना चाहिए- क्योंकि वे ही इससे सबसे ज़्यादा उपचत हैं।
  • (2) अगले दो महीनों तक सभी गैर-आपातकाल (non-emergency) संस्थानों और सेवाओं को बंद करना और उनके कार्यरत सभी कर्मचारियों को पेड-लीव (वेतन-युक्त अवकाश) देना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। जहाँ तक संभव हो पाए, लोगों को अपने घरों से ही इंटरनेट, मोबाईल, ई-मेल और वीडियो-लिंक के माध्यम से अपना कार्य करने की सुविधा दी जानी चाहिए।
  • (3) देश में सबसे ज्यादा- 15 मार्च को भारत में 100 में से 51 – कोरोना से प्रभावितों की संख्या छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती राज्य महाराष्ट्र में है, इसलिए छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र बार्डर को सील कर दिया जाना चाहिए।
  • (4) रायपुर हवाई अड्डे और प्रदेश के सभी रेलवे और अंतर्राज्यीय बस स्टेशनों में राज्य के बाहर से आए आगंतुकों जिनको बुख़ार है, उच्च रक्तचाप वाले लोगों और अस्वस्थ (डाईबटीस, डायऐलिसस, गठिया और इस मौसम में सर्दी-सूखी ख़ासी से ग्रसित) 70 वर्ष की आयु से अधिक वृद्धजनों को कोरोना के लिए जांच कराना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में टेस्ट-किट्स का भंडारण करना होगा।
  • (5) ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी की देखरेख में हर ब्लॉक मुख्यालय में आईसोलेशन सेंटर तैयार किए जाना चाहिए जहां संक्रमित लोगों को उपचार हेतु अलग से रखने की सुविधा रहे।
  • (6) प्रदेश के नागरिकों के लिए हैंडवाश और सेनेटायज़र; स्वास्थ कर्मियों के लिए हैजमेट सूट, टेस्ट किट और P-100 फेस मास्क; और संक्रमित मरीज़ों के इलाज के लिए उपरोक्त 7 दवाइयाँ- Chloroquine, Kaletra (ritonavir+lopinavir), Interferon alfa-2b, Remdesivir, Favipiravir, Actemra (tocilizumab), Kevzara (sarilumab)- और 1% संक्रमित लोगों के लिए साँस लेने की मशीन (वेंटिलेटर और रेस्परेटर) को ESMA क़ानून के अंतर्गत ‘आवश्यक सामग्री’ घोषित करके सरकार को उनका पर्याप्त मात्रा में भंडारण जल्द से जल्द कर लेना चाहिए ताकि उनकी काला बाज़ारी न हो सके। साथ ही, प्रदेश में इनके उत्पादन की सम्भावनाओं को प्रोत्साहित करना होगा।
  • (7) WHO (विश्व स्वास्थ संगठन) द्वारा कुछ ही दिनों में कोरोना के उपचार हेतु विश्व-व्यापी प्रोटोकॉल तैयार किए जाने की उम्मीद की जा सकती है। सरकार को प्रदेश के सभी शासकीय और निजी क्षेत्र के डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य-कर्मियों और जीव-विज्ञान से संबद्ध सभी विषयों के स्नातकों को युद्धस्तर पर अनिवार्य रूप से सर्वप्रथम इस प्रोटोकॉल में प्रशिक्षित करना होगा, और प्रशिक्षण उपरांत, उनको हैजमेट सूट और P-100 फ़ेस मास्क के माध्यम से सुरक्षित रखते हुए, लोगों की जांच और उपचार के लिए प्रदेश की सभी बसाहटों में चरणबद्ध तरीके (घनी और गरीब बस्तियों में पहले) से लामबंद किया जाना चाहिए।
  • (8) सबसे महत्वपूर्ण, सभी निजी और सरकारी प्रचार-प्रसार तंत्र का उपयोग केवल जनमानस को 3 ही संदेश देने के लिए किया जाए: “जहाँ तक संभव हो घर में साफ़-सफ़ाई से रहें, सार्वजनिक स्थानों में एक दूसरे के बीच 6 फ़ीट की दूरी रखें और बिना साबुन से हाथ धोए, आप अपने चेहरे- आंख, नाक और मुँह- को न छुएँ।“ इतनी सी सीधी और सरल बात बाक़ी सारी बातों पर भारी है। और सबसे बढ़िया बात तो यह है कि इसका पूरा दारोमदार व्यक्ति का- आपका और मेरा- है न कि नई दिल्ली या रायपुर में बैठी सरकार का।
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