रायपुर

“कहानी सिर्फ कहानी होती है- पर हकीकत के आसपास” कथाकार स्वयं प्रकाश की स्मृति में प्रलेस का आयोजन

रायपुर। छत्तीसगढ़ के ये तीनों कहानीकार लोक बाबू , उर्मिला शुक्ल व  संजय शाम अप्रतिम कथाकार स्वयं प्रकाश की परंपरा के कहानीकार हैं. तीनों की कहानियां मार्मिक हैं और गहराई तक संवेदना को छूती है।

यह विचार प्रसिद्ध आलोचक जयप्रकाश ने कल प्रगतिशील लेखक संघ रायपुर द्वारा आयोजित कथा गोष्ठी में वृंदावन हाल में व्यक्त किए . हिंदी के बेहद महत्वपूर्ण कहानीकार स्वयंप्रकाश की स्मृति में आयोजित इस कथा गोष्ठी में प्रगतिशील  लेखक संघ छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष लोकबाबू ने “जश्न”, उर्मिला शुक्ल रायपुर ने  “फूल गोदना के” एवम संजय शाम रायपुर ने “अपनी अपनी नींद ” कहानी का पाठ किया.  कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रगतिशील लेखक संघ के प्रदेश महासचिव नथमल  शर्मा ने की।

आलोचक जयप्रकाश ने समकालीन कहानी व उक्त तीनों कहानियों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि यथार्थवाद को ठीक-ठीक समझने की जरूरत है। कहानी यथार्थ को नहीं ,यथार्थ के भीतर की विडंबना को व्यक्त करती है  समय का दबाव ऐसा है कि ज्यादातर कहानियां यथार्थ की ओर फिसलती जान पड़ती हैं. इनमें कहानी कम ,यथार्थ ज्यादा दिखाई देता है । यानी विडंबना कम यथार्थ का  विस्तार व फैलाव ज्यादा दिखाई पड़ता है। उन्होंने कहा कि लोक बाबू की कहानी “जश्न ”  हिम्मत पैदा करने वाली कहानी है .यह कहानी जिंदादिली को उठाती है .जागृत करती है और मुश्ताक के समर्पण को  रेखांकित करती है। उर्मिला शुक्ल की कहानी “फूल गोदना के” स्त्री के स्वत्व की खोज की कहानी है .इसमें धर्मसत्ता व पितृसत्तात्मकता का वीभत्स रूप दिखाई देता है। यह पंचायती राज पर व्यंग्य  करती है तो कलाकार की स्वतंत्रता व स्वायत्तता को भी रेखांकित करती है। यह कहानी लोक संस्कृति के क्षरण को भी व्यक्त करती है .संजय शाम की कहानी “अपनी-अपनी नींद “बेहद मार्मिक कहानी है जो संवेदना के स्तर पर गहराई तक छूती  है। यह कहानी जीवन की विडंबनाओं का साक्षात्कार करती है. इसमें अनेक विडंबनात्मक दृश्य हैं जो दिल को छू लेते हैं।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए  नथमल शर्मा ने कहा कि तीनों कहानियां अच्छी व प्रभावशाली हैं . प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह ने एक बार कहा था कि कहानी सिर्फ कहानी होती है लेकिन हकीकत के आसपास होती है। कहानी में कहन भी होनी चाहिए। उन्होंने जयनंदन की एक कहानी की भी विस्तार से चर्चा करते हुए इस आयोजन को महत्वपूर्ण बताया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में नथमल शर्मा  का मिनहाज असद,  जयप्रकाश का निसार अली, लोक बाबू का संकेत यदु, उर्मिला शुक्ल का संगठन सचिव छग परमेश्वर वैष्णव,  आलोक वर्मा का रफीक खान एवं संजय शाम का स्वागत कमलेश्वर साहू ने किया . अंत में मूर्धन्य कथाकार स्वयंप्रकाश को 2 मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई । आभार प्रदर्शन रायपुर इकाई के अध्यक्ष आलोक वर्मा व संचालन नंदकुमार कंसारी ने किया ।

कार्यक्रम में बिलासपुर के रफीक खान, डॉ अशोक शिरोड़े,  इप्टा रायपुर के आबिद अली, अरुण काठोते, शेखर नाग , पीसी रथ , विश्वास मेश्राम, राजकुमार सोनी, किशनलाल, राजेश गनोदवाले,  राजेंद्र जैन रागे, राजेंद्र ओझा,  नरोत्तम यादव, दिलीप साहू , रोजा, फिजा सहित अनेक रचनाकार , कलाकार व अन्य लोग भी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम के पूर्व  न्यू सर्किट हाउस के काफी हाउस में प्रलेसं के प्रदेश अध्यक्ष लोकबाबू एवं महासचिव नथमल शर्मा, संगठन सचिव परमेश्वर वैष्णव  की उपस्थिति में सांगठनिक बैठक  भी हुई जिसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई।

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