लेखक की कलम से
जन्म भूमि श्रीराम की ….
जन्म भूमि श्रीराम की, कुशल रहे हर हाल ।
सदा आसुरी चाल से, रखना इसे सँभाल ।।
घूम रही है ताड़का, शुक मारिच के संग ।
जाने किस रंग ये रँगे, परखो इनका ढंग ।।
पुरुषों में दसरथ जगे, कौशिल्या हर मात ।
माँ वसुधा के गर्भ से, निकले सिय मुस्कात ।।
अवध बने फिर भारती, लिखें भाग्य निज भाल।।
जन्म भूमि श्रीराम की, कुशल रहे हर हाल ।।
कहीं अहिल्या बन सिला, जोह रही है बाट ।
मौन सिया अरु उर्मिला, शूर्पणखा के ठाट।।
विश्वामित्र रुके हुए, यज्ञ करें संपन्न ।।
माँ शबरी के बेर सम, पावन कर लें अन्न ।।
आवेंगे सँग भ्रात फिर, बनने जग की ढाल।
जन्म भूमि श्रीराम की, कुशल रहे हर हाल ।।
©श्रीमती रानी साहू, मड़ई (खम्हारिया)