नई दिल्ली

रूस व चीन देंगे अफगानिस्तान में मोदी सरकार को जोर का झटका ! तालिबान सरकार को देंगे मान्यता …

नई दिल्ली। अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के दौरान बीजिंग ने तालिबान के साथ अनौपचारिक संबंध बनाए रखने की इच्छा जाहिर की थी। चीन की 76 किलोमीटर सीमा अफगानिस्तान से मिलती है। बीजिंग को लंबे समय से यह डर था कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से शिजियांग प्रांत में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के अलगाववाद को बढ़ावा मिल सकता है। लेकिन पिछले महीने तालिबान के एक प्रतिनिधिमंडल ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी और उनसे वादा किया था कि अफगानिस्तान को आतंकियों के बेस के रूप में इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा। बदले में चीन ने आर्थिक सहयोग और निवेश का भरोसा दिलाया।

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद जहां अधिकतर देश काबुल में अपने दूतावासों को बंद करके अपने नागरिकों को निकालने में जुटे हैं, वहीं चीन ने विद्रोही संगठन से दोस्ती का ऐलान किया है। चीन ने सोमवार को कहा कि वह तालिबान के साथ दोस्ताना रिश्ता विकसित करना चाहता है। एक दिन पहले ही इस्लामिक कट्टरपंथी समूह ने काबुल पर को अपने नियंत्रण में लिया है।

विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मीडिया से कहा, ‘चीन अफगानिस्तान के लोगों के स्वतंत्रतापूर्वक अपनी तकदीर चुनने के अधिकार का सम्मान करता है और अफगानिस्तान के साथ दोस्ताना और सहयोगपूर्ण रिश्ते विकसित करना जारी रखना चाहता है।’ चीन के अलावा रूस ने भी तालिबान की सरकार को मान्यता देने के संकेत दिए हैं। मंगलवार को रूस के राजदूत तालिबान के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने वाले हैं और इसके बाद इस पर फैसला हो सकता है। इस बीच ब्रिटेन ने वैश्विक समुदाय से अपील की है कि तालिबान की सरकार को मान्यता न दी जाए।

चीन ने कहा कि अफगानिस्तान के साथ रिश्ता को मजबूती देने के मौके का इसने स्वागत किया है। चीनी प्रवक्ता ने कहा, ”तालिबान ने बार-बार चीन के साथ अच्छे रिश्ते की उम्मीद जाहिर की है और वे अफगानिस्तान के विकास और पुर्ननिर्माण में चीन की सहभागिता को लेकर आशान्वित हैं। हम इसका स्वागत करते हैं।” हुआ ने यह भी कहा कि काबुल में चीन का दूतावास अभी भी काम कर रहा है।

रूस ने काबुल में अपने दूतावास को खाली करने की किसी योजना से इनकार करके यह साफ कर दिया है कि तालिबान सरकार को मान्यता दी जा सकती है। विदेश मंत्रालय के अधिकारी ज़मीर काबुलोव ने सोमवार को कहा कि उनके राजदूत तालिबान नेतृत्व के संपर्क में हैं। काबुलोव ने यह भी कहा कि यदि तालिबान का आचरण ठीक रहता है तो इसके शासन को मान्यता दी जा सकती है। अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव की दूतावास की सुरक्षा को लेकर तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर सकते हैं।

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