मध्य प्रदेश

प्रख्यात कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा बोले- मैं पर्चा नहीं लिखता, कोई भविष्यवाणी भी नहीं करता

उज्‍जैन में चल रही शिव महापुराण कथा सुनने पांच लाख से अधिक श्रोता पहुंचे, पूरा पंडाल खचाखच, जिन्हें पंडालों में जगह नहीं मिली, वे बाहर ही बैठ गए

उज्जैन। प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि न मैं कोई पर्चे लिखता हूं, न भविष्यवाणी करता हूं। हमें हमारे देवी-देवताओं को मानना चाहिए, उन्हीं का पूजन करना चाहिए। हम इतना जानते हैं शंकर भगवान का भजन करें स्वयं कालाधिपति बैठा है दुनिया का भाग्य लिखने वाला, वही हैं जो राम जी, कृष्ण जी की माता का हाथ देखकर बता देते हैं। हमें हमारे भगवान पर भरोसा करना है, किसी साधारण मनुष्य पर भरोसा नहीं करेंगे। भगवान पर भरोसा करेंगे तो हमारा जीवन सार्थक होगा।
पं. मिश्रा ने यह बात पहले दिन की कथा के बाद मीडिया से चर्चा के दौरान कही। दरअसल, मीडिया ने जब उनसे पूछा कि आपने अपनी कथा के दौरान भविष्यवाणी नहीं करने की बात कही तो वो क्या बागेश्वर धाम को लेकर थी, इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने यह बात कही। सांईं बाबा के सवाल पर पं. मिश्रा ने कहा कि हमें हमारे देवी देवताओं को मानना चाहिए, उन्हीं का पूजन करना चाहिए। राजनीति में आने के सवाल पर भी उन्होंने कहा कि मुझे कभी राजनीति में आना ही नहीं है और नाही चुनाव लड़ना है। भगवान के चरणारविंद की रज मिलती रहे, हमारे लिए यही बहुत है। साधु संत द्वारा कहे गए सनातन धर्म के हिसाब से देश चलाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि संविधान और सनातन दोनों के साथ मिलकर ही इस राष्ट्र का आनंद ले सकते हैं और आनंद के साथ इस सनातन धर्म को चला सकते है। उन्होंने कहा कि भगवान महाकाल ही उज्जैन में कथा करा रहे हैं, इसमें जितना हो सके, जनमानस की सेवा करना चाहिए। प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की शिवमहापुराण कथा की शुरुआत मंगलवार से हुई। कथा में पहले दिन पं. मिश्रा ने शिव महिमा के बारे में बताया। उन्होंने प्रण लिया है कि सभी ज्योतिर्लिंग में कथा का आयोजन किया जाएगा। बड़नगर रोड पर हो रही कथा में पहले दिन करीब पांच लाख से अधिक श्रोता पहुंचे। पूरा पंडाल भरा हुआ था। कथा शुरू होने से पहले ही 2 लाख लोग पहुंच चुके थे। पंडाल छोटे पड़े तो नए पंडाल लगवाए गए। इसके बावजूद कई लोगों को जगह नहीं मिली, तो वे बाहर ही बैठ गए। कुछ लोग अपने घर लौट गए।

कथा के पहले दिन ही कथा परिसर के तीनों पांडाल खचाखच भरा गए।

कथा में जगह रोकने के लिए पंडाल में ही बिस्तर डालकर बैठे हैं श्रोता।

गर्मी से बचने के लिए की पंखे कूलर और फॉग की व्यवस्था

कथा के आयोजन के लिए 300 x 800 के तीन विशाल डोम बनाए गए थे। बीच वाले मुख्य डोम में मुख्य मंच पर महाकाल मंदिर की आकृति की सजावट कर शिवलिंग बनाया गया है। यहीं से पंडित मिश्रा कथा सुना रहे हैं। कथा सात दिन तक चलेगी। कथा स्थल पर दो दिन पहले से ही भक्तों की भीड़ आना शुरू हो गई थी। जो भक्त बाहर से आए हैं वे पंडाल में ही सो रहे है। इसलिए कथा शुरू होने से पहले ही वे आगे वाली जगह अपने लिए रोक लेते हैं। राजस्थान, बिहार, यूपी, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा सहित अन्य राज्यों के अलग-अलग शहरों से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे हैं। कथा के दौरान कई महिला-पुरुष व बच्चे गर्मी में परेशान होते रहे। हालांकि, तीनों डोम में आगे गर्मी से बचने के लिए पंखे, कूलर और फॉग की व्यवस्था की गई थी, लेकिन पीछे बैठे लोग काफी परेशान होते रहे। यहां एक बुजुर्ग पुरुष और महिला बेहोश हो गई। उनके साथ आए कुछ लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया।

जिन्हें पंडालों में जगह नहीं मिली वे बाहर ही बैठ गए।

पंडालों में जगह नहीं मिली तो बाहर धूम में ही इस तरह बैठकर कथा सुन रहे लोग।

पंडालों में जगह नहीं मिली तो तपती धूप में बाहर बैठकर कथा सुनते लोग।

कथा स्थल से पार्किंग बहुत दूर बनाई गई है। इस कारण कथा स्थल जाने के लिए पैदल अथवा इस तरह की जुगाड़ लगाकर पहुंच रहे श्रोता।

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