लेखक की कलम से

गुलाबी सुबह और सतरंगी होली …

ओ प्रिया, प्रिया, प्रिया कितना इंतजार किया तुमने और मैंने इस दिन का, आया भी तो इतने शुभ दिन पर, होली का त्यौहार है और हम दोनों एक दूसरे के साथ इतने लंबे इंतजार के बाद…

पलाश ने अपनी पत्नी की गोद में अपना सर रखे हुए, उसकी भीगे बालों से टपकते हुई बूंदो में भीगते हुए कहा। तुरंत ही पलाश ने पलट कर अपनी पत्नी प्रिया को अपनी बाहों में भर लिया और कहा …..आज मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि मैंने तुम्हें अपना जीवन साथी बना कर कोई गलती नहीं की, क्योंकि पिछले दिनों तुमने जितनी मेरी मां बाप की सेवा की है शायद ही कोई दूसरा कर पाता।

एक समय था जब सभी इस विवाह के विरोध में थे। पलाश एक डॉक्टर है और उसने अपने लिए एक साधारण  सी  लड़की, सादगी की मूरत प्रिया को अपने लिए जीवन साथी चुना, प्रिया का कसूर सिर्फ इतना था कि वह एक विधवा थी और उसका पति विवाह के 15 दिन बाद ही एक हादसे मे चल बसा था।

सभी ने पलाश को बहुत समझाया क ऐसी लड़की को विवाह के लिए ना चुने, लेकिन पलाश तो उसकी सादगी पर मर मिटा था, और एक ही नजर में प्रिया को अपना दिल दे बैठा था।

पलाश उसकी बेरंग जिंदगी में रंग भरना चाहता था, सतरंगी रंग भरना चाहता था, उसे दुनिया का हर सुख देना चाहता था, लेकिन प्रिया भी इस विवाह के लिए तैयार न थी, वो अपना मनहूस साया भी पलाश पर नहीं पड़ने देना चाहती थी, लेकिन पलाश के प्रेम की आगे उसे समर्पण पर करना ही पड़ा और उसने विवाह के लिए हां कर दी। पलाश ने इस विवाह के लिए अपने मां बाप को भी मना लिया।

2019 मे कोरोना समय में ही बहुत ही सादगी के साथ दोनों का विवाह हुआ, विवाह होते ही पलाश की ड्यूटी हॉस्पिटल में लग गई। उसे जाना पड़ा।

उधर प्रिया ने बहुत ही धैर्य के साथ पलाश के माता-पिता का ध्यान रखते हुए उनकी सेवा की, और मौन आंखों से दिन-रात पलाश का इंतजार करती रही, जब भी पलाश से फोन पर बात होती, हमेशा उसे हिम्मत ही देती कि आप फिक्र ना करें, मां पापा बिल्कुल ठीक हैं आप अपना ध्यान रखना, मैं यहां सब संभाल लूंगी।

लेकिन पलाश भी समझता था यह सब इतना आसान नहीं था, नया घर, नये लोग, लेकिन धीरे-धीरे परिवार में सभी को प्रिया ने अपने अच्छे स्वभाव से अपना बना लिया,और आज लगभग 10 महीने बाद दोनों पहली बार एक साथ कहीं बाहर घूमने आए थे,पलाश ने मन ही मन सोच लिया कि प्रिया के सूने जीवन में बेरंग जिंदगी में सतरंगी रंग भर देगा,आज वही दिन था जिसका पलाश को इतना दिन से इंतजार था, और इस मौके के लिए होली से अच्छा कौन सा दिन हो सकता था।

पलाश ने प्रिया को अपनी बाहों में भर कर उसको सतरंगी गुलाल से रंग दिया, और उसकी बेरंग जिंदगी में सतरंगी रंग भर डाले, और इस गुलाबी सुबह को और भी गुलाबी कर दिया….

 

©ऋतु गुप्ता, खुर्जा, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश          

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