मध्य प्रदेश

अब बताना होगा… प्रायवेट एजेंसियां रेलवे स्टेशन का कचरा कहां डालती हैं

भोपाल

स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 को लेकर नगर निगम ने तैयारियां शुरु  कर दी है। हर बार की तरह इस बार फिर से स्वच्छता को लेकर नए पैरामीटर तय किए गए हैं। इसे फालो कराने के लिए अधिकारियों ने रोड मैप भी बनाना शुरू कर दिया। बुधवार को नगर निगम मुख्यालय में सभी 21 जोन के सहायक स्वास्थ्य अधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी। इसमें उन्हें शहर को स्वच्छ बनाने के लिए बेहतर प्रयास करने के निर्देश दिए गए हैं।

अधिकारियों ने बताया कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में भोपाल को देश की सबसे स्वच्छ राजधानी का खिताब मिला है। साथ ही भोपाल शहर स्वच्छता के मामले में सातवें पायदान पर है। अब भोपाल को देश का सबसे स्वच्छ शहर बनाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। एएचओ को बैठक में बताया गया है कि अपने क्षेत्रों में नालों की सफाई पर ध्यान दें। इसमें फेंकी गई पालीथिन व अन्य कचरे को निकलवाया जाए, जिससे पानी का बहाव निरंतर बना रहे। वहीं सुलभ शौचालयों का भी निरीक्षण करें। पालीथिन के विक्र य, उपयोग और भंडारण के खिलाफ कार्रवाई करें। साथ ही कचरा संग्रहण के दौरान गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग इकठ्ठा करना भी सुनिश्चित किया जाए।

भोपाल और रानी कमलापति रेलवे स्टेशन की साफ-सफाई का जिम्मा निजी एजेंसियों के पास है, लेकिन ये लोग कचरा कहां फेंकते हैं, इसकी जानकारी सहायक स्वास्थ्य अधिकारियों को नहीं होती है। अब जोन नौ और 16 के एएचओ को निर्देशित किया गया है कि रेलवे स्टेशन से निकलने वाला कचरा निजी एजेंसियां कहां फेंकती हैं  इसकी जानकारी  लें।

एएचओ के पद से हटाए जाएंगे अयोग्य कर्मचारी
नगर निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण ने कैडर के अनुसार अपर आयुक्तों के प्रभार का बंटवारा किया था, जिससे कामकाज में सुधार हो सके। अब निगमायुक्त वर्षों से सहायक स्वास्थ्य अधिकारी (एएचओ) के पद पर जमे कर्मचारियों को पद अनुसार प्रभार देने की व्यवस्था करने वाले हैं। एएचओ के पद से अयोग्य कर्मचारियों को हटाने के लिए उन्होंने उनके मूल पूदों की जानकारी मांगी है। जिससे इन कर्मचारियों को उनके पद अनुसार प्रभार सौंपा जा सके। दरअसल, निगमायुक्त ने एक बैठक में जोन का जिम्मा संभाल रहे कर्मचारियों से उनके मूल पद पूछे तो कोई अतिक्र मण का सिपाही निकला तो कोई कामगार, जबकि उनके ठाठ द्वितीय श्रेणी के अधिकारी से जैसे हैं।

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