नई दिल्ली

संसद में बिना बहस के 12 मिनट में पास हुआ नया कृषि कानून वापसी बिल…

नई दिल्ली। शीत कालीन सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बात करते हुए विपक्ष से सार्थक बहस की अपील की। अपने भाषण में उन्होंने कई बार ‘अच्छी बहस’ का जिक्र करते हुए कहा कि हम हर सवाल के लिए तैयार हैं लेकिन सदन के अंदर बिना किसी चर्चा के मात्र 12 मिनट में दोनों सदनों में कृषि कानून वापसी बिल पास हो गया। राज्यसभा में इसके लिए 9 मिनट का समय लगा जबकि लोकसभा में मात्र 3 मिनट में कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 पारित हो गया। इतना ही नहीं पिछले सत्र में तो सरकार ने 15 विधेयक मात्र 10 मिनट में पास करा करा लिए थे । पीएम मोदी कई मौकों पर सदन में सार्थक बहस की बात कर चुके हैं, लेकिन उनकी यह बात सिर्फ बयानों तक ही सीमित दिखाई पड़ती है।

11 जून 2004 को लोकसभा में अपने पहले भाषण में भी उन्होंने कुछ इस तरह का ही रुख दिखाया था। पीएम मोदी ने कहा था कि जीत हमें विनम्र होना सिखाती है, यहां उन्होंने सबको साथ लेने की बात भी कही थी। पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि मुझे विश्वास है कि यहां के सीनियर, चाहे वो किसी भी दल के हो, उनके आशीर्वाद से हमें ताकत मिलेगी जो हमें अहंकार से बचाएगी। उन्होंने कहा था कि हमें संख्या के आधार पर आगे नहीं बढ़ना है, हमें सामूहिक दृष्टिकोण की शक्ति के आधार पर आगे बढ़ना है। हम सामूहिक दृष्टिकोण की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं।

इसी तरह पिछले दिनों 17 नवंबर को 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि सदन में सार्थक चर्चा बहुत महत्वपूर्ण है। स्वस्थ बहस की वकालत करते हुए पीएम मोदी ने विपक्ष से भी अपील की थी, क्या हम गुणवत्तापूर्ण बहस के लिए समय निकालने के बारे में सोच सकते हैं? ऐसी बहस जिसमें गरिमा और गंभीरता हो और कोई राजनीतिक बदनामी न हो। उन्होंने कहा था कि मैं ऐसी बहस की रोज़ मांग नहीं कर रहा हूं। यह दो घंटे, आधा दिन या कभी-कभी एक दिन भी हो सकती है। क्या हम ऐसा कुछ कोशिश कर सकते हैं? एक स्वस्थ दिन, स्वस्थ बहस जो मूल्यवर्धन करे और जो रोजमर्रा की राजनीति से बिल्कुल मुक्त हो।

इसी तरह 15 सितंबर को संसद टीवी के उद्धाटन के मौके पर उन्होंने संसद में सार्थक बहस की बात दोहराई थी। यहां उन्होंने बेहतर कॉन्टेंट की बात करते हुए कहा था कि जब आपका कॉन्टेंट बेहतर होता है तो लोग अपने आप उसके साथ इंगेज हो जाते हैं, यह जितना मीडिया पर लागू होता है उतना ही हमारी संसदीय प्रणाली पर भी लागू होता है। क्योंकि संसद में राजनीति ही नहीं नीति निर्माण भी होता है। जब संसद का सत्र चल रहा होता है, तो अलग-अलग विषयों पर बहस होती है और देश के युवाओं के लिए सीखने के लिए बहुत कुछ होता है। उन्होंने कहा था कि हमारे माननीय सदस्यों को भी पता चलता है कि देश उन्हें देख रहा है, तो उन्हें संसद के अंदर बेहतर आचरण, बेहतर बहस के लिए प्रेरणा मिलती है। इससे संसद की उत्पादकता भी बढ़ती है।

2019 में, राज्यसभा में बोलते हुए पीएम मोदी ने सदस्यों से “चेकिंग और क्लॉगिंग” कानून के बीच अंतर करने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि एक तरह से, हमारे कई सांसद बार-बार यह कहते हैं कि सदन चर्चा, संवाद और बहस के लिए होना चाहिए। तेज आवाज में वाद-विवाद हो सकता है; इसमें कोई बुराई नहीं है। हालांकि, ये जरूरी है कि हम रुकावटों के बजाय बातचीत का रास्ता चुनें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में देश हित में चर्चा हो और राष्ट्र की प्रगति के लिए रास्ते खोजे जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार हर सवाल का जवाब देने को तैयार है, बशर्ते सदन में शांति बनायी रखी जाए तथा सदन व आसन की गरिमा के अनुकूल आचरण किया जाए। सत्र की शुरुआत से पहले संसद भवन परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘संसद में सवाल भी हों और संसद में शांति भी हो। हम चाहते हैं संसद में सरकार के खिलाफ, सरकार की नीतियों के खिलाफ, जितनी आवाज प्रखर होनी चाहिए वह हो, लेकिन संसद की गरिमा, अध्यक्ष व आसन की गरिमा… इन सब के विषय में हम वह आचरण करें, जो आने वाले दिनों में देश की युवा पीढ़ी के काम आए।’’

कृषि कानून को लेकर मानसून सत्र में जोरदार हंगामा हुआ था। राज्यसभा में विपक्ष ने आरोप लगाया कि वोटों के विभाजन की उनकी मांग को नजरअंदाज कर दिया गया। लोकसभा ने 17 सितंबर 2020 को दो घंटे 48 मिनट तक कृषि विधेयकों पर चर्चा की; तीन दिन बाद, राज्यसभा में दो घंटे आठ मिनट तक विधेयकों पर चर्चा की गई, जिसमें लोकसभा में 44 सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया था जबकि 32 सदस्यों ने राज्यसभा में भाग लिया था।

भाजपा कई मौकों पर विधयकों में जल्दबाजी को लेकर आलोचना का सामना करती रही है। पिछले सेशन में 15 विधेयक (लोकसभा में 14 और राज्यसभा में एक) 10 मिनट से भी कम समय में पास हुए थे, वहीं 26 विधेयक आधे घंटे से भी कम समय में पारित हुए। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार, अपने दूसरे कार्यकाल में, छह से अधिक संसद सत्रों में, मोदी सरकार ने आधे घंटे से भी कम समय में 42 और 10 मिनट से भी कम समय में 19 विधेयक पारित किए हैं।

Back to top button