लेखक की कलम से

नवरात्रि मनाबो …

विधा- मुक्त

 


आगे नवा साल चला, खुशियां मनाबो जी ।

नव रूप धर आये दाई, दरसन ल पाबो जी ।।


      1. तोर सक्ति ले दाई जग मा, कोने अनजान हे ।

पीरा सबके हरथस दाई, पग-पग मा परमान हे ।

दाई के जस जमो दिसा मा, जुग-जुग ले बगराबो जी ।।

नव रूप धर आये दाई, दरसन ला पाबो जी ।।

 

      1. तोर रचे दुनिया मा दाई, बिपदा भारी आय हे ।

नाव कोरोना मउत बनके, बेंदरा नाच नचाय हे ।।

बैरी कोरोना के नास के खातिर, दाई ल मनाबो जी ।।

नव रूप धर आये दाई , दरसन ल पाबो जी ।।

©श्रीमती रानी साहू, मड़ई (खम्हारिया)

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