मध्य प्रदेश

कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने मंदसौर की बेटियों पर विवादित बयान देने के बाद हाथ जोड़कर मांगी माफी …

भोपाल। कथा वाचक प्रदीप मिश्रा एक बार फिर अपने अमर्यादित बयान से विवादों से घिर गए हैं। सोशल मीडिया पर उनके इस बयान का जमकर विरोध हो रहा था। दरअसल, प्रदीप मिश्रा ने अशोक नगर में आयोजित कथा के दौरान मंदसौर की बेटियों को देह व्यापार से जुड़ा हुआ बता दिया था। इस बयान के बाद मंदसौर में प्रदीप मिश्रा का भारी विरोध हो रहा था। इसके बाद प्रदीप मिश्रा ने अपने अमर्यादित विवादित बयान पर हाथ जोड़कर माफी मांग ली है।

एमपी के मंदसौर में कथा वाचक प्रदीप मिश्रा की कथा से पहले छिड़े विवाद को लेकर मिश्रा भड़क उठे। अशोक नगर की कथा के अंतिम दिन उन्होंने कहा कि शिवमहापुराण की कथा जहां होती है, वहां पहले बहुत समस्याएं आती हैं। कल (26 सितंबर) से मंदसौर में कथा होने वाली है। वहां भी परेशानियों का क्रम जारी है। क्योंकि, जब तक कथा शुरू नहीं हो जाती, तब तक ये विधर्मी कैसे न कैसे आग लगाएंगे। वे आग लगाकर सनातन धर्म को तोड़ने की कोशिश करेंगे।

मिश्रा ने अशोकनगर की कथा में कहा था कि- विधर्मी चाहते हैं पुरुष, महिला, माता, बहन और बुजुर्ग एक साथ एक जगह इक्ठ्ठा न हों। विधर्मी लगे हैं, कैसे नवयुवकों को तोड़ा जाए, कैसे नवयुवतियों को तोड़ा जाए। मेरी कथा फिर काशी में है, भीकनगांव में है, वहां भी ऐसा ही होगा। विधर्मी तो सबसे ज्यादा मेरे पीछे लगे हैं, कैसे महाराज जी को तोड़ा जाए, किसी भी तरह से इनको नीचे किया जाए।

अशोकनगर की कथा में मिश्रा ने मंदसौर जिले में देह व्यापार में लिप्त बच्चियों का जिक्र करते हुए उनका उचित लालन-पालन करने की बात कही थी। जिसके बाद से मंदसौर के लोग खासे नाराज हैं। यहां तक की साधु-संत भी उनका विरोध कर रहे हैं। पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णानंद का कहना है कि संत समाज और आम लोग मिश्रा की कथा का बॉयकॉट करें। हालांकि, रविवार को कथा के दौरान मिश्रा ने अपने बयान के लिए क्षमा मांग ली।

अशोकनगर के कार्यक्रम में मिश्रा ने कहा था कि इस कथा को मंदसौर में करने का केवल उद्देश्य वहां की बेटियों को देह व्यापार से दूर करना है और उनसे देह व्यापार को छुड़वाना है। शिवपुराण की कथा का नाम मंदोदरी शिवमहापुराण रखा गया है, ताकि शिव भक्त मंदोदरी के नाम से कम से कम उस क्षेत्र की बेटियां सुधर सकें। उन्होंने कहा था, ‘मंदसौर जिले के अंतर्गत छोटी-छोटी लड़कियां-बेटियां देह व्यापार करती हैं। उस देह व्यापार को रोकने के लिए और उस देह व्यापार को रोककर उन बेटियों को पढ़ाना-लिखाना और उनको अच्छी परवरिश देकर उनका घर बसाने के लिए ये पावन मंदोदरी शिवमहापुराण की कथा रखी है।’ उन्होंने कहा था कि विधर्मी चाहते हैं पुरुष, महिला, माता, बहन और बुजुर्ग एक साथ-एक जगह इक्ठ्ठा न हों। विधर्मी लगे हैं, कैसे नवयुवकों को तोड़ा जाए, कैसे नवयुवतियों को तोड़ा जाए। मेरी कथा फिर काशी में है, भीकनगांव में है, वहां भी ऐसे ही होगा। विधर्मी मेरे पीछे लगे हैं, कैसे महाराज जी को तोड़ा जाए, किसी भी तरह से इनको नीचे किया जाए।

अशोक नगर में आयोजित कथा के समापन के आखिरी दिन प्रदीप मिश्रा ने व्यासपीठ से मंदसौर वाले बयान पर माफी मांगते हुए कहा कि मैं बेटियों से क्षमा चाहता हूं, मेरा उद्देश्य बेटियों को आहत करना बिल्कुल भी नहीं था और ना ही मैंने सभी बेटियों के लिए ऐसा बयान दिया था। मैंने केवल एक समाज विशेष, जिसमें यह कुरीति व्याप्त है, उसके बारे में बोला था। दरअसल, यहां पंडितजी ने जिन लड़कियों का जिक्र किया था, वे बाछड़ा समुदाय से आती हैं, जिनसे कम उम्र में देह व्यापार कराया जाता है।

पंडित प्रदीप मिश्रा के विवादित बयान पर सोशल मीडिया में फेसबुक पर प्रीति बिरला नाम की यूजर्स ने लिखा कि मंदोदरी शिव पुराण कथा के साथ ही मंदसौर की बेटियों को देह व्यापार से जुड़ने की जो बात कही गई है, वे पूरी तरह से नारी शक्ति का अपमान है और समस्त नारी शक्ति के अपमान के लिए प्रदीप मिश्रा को मंदसौर की सभी बेटियों से माफी मांगना चाहिए और अपने शब्द वापस लेना चाहिए। मंदसौर के लोगों ने भी मिश्रा से सवाल पूछा है कि दुनियाभर में मंदसौर भगवान पशुपतिनाथ के लिए प्रसिद्ध है, जी को मंदसौर की ये पहचान किसने बताई।

पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णानंद का कहना है कि जी जहां कथा करने जाते हैं, अगर वहां का इतिहास उन्हें नहीं पता है तो वहां के लोगों से पूछ लेना चाहिए। लेकिन, प्रदीप मिश्रा ने तो मंदसौर की गलत पहचान बताने के साथ मातृशक्ति का भी अपमान किया है। उन्होंने अपील की है कि साधु-संत और पूरा मंदसौर प्रदीप मिश्रा की कथा का बायकॉट करे।

अशोक नगर में आयोजित शिव महापुराण कथा के छठवें दिन प्रदीप मिश्रा की कथा में जनसैलाब उमड़ा तो पूरा शहर भीड़ से भर गया। कथा स्थल पर भीड़ की वजह से लोगों में धक्का-मुक्की शुरू हो गई और भीड़ से भगदड़ सी स्थिति बनती नजर आई। इसके बाद एएसपी प्रदीप पटेल पुलिस के साथ बेरीकेड्स कूंदकर वहां पहुंचे। पुलिस ने बमुश्किल भीड़ को नियंत्रित किया था, ताकि भीड़ बेकाबू होने से किसी तरह की भगदड़ की स्थिति ना बन सके।

बता दे इससे पहले नर्मदापुरम में शिव पुराण कथा के दौरान प्रदीप मिश्रा ने कहा था कि अब देश का संविधान बदल कर भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए। उनके इस बयान के बाद ओबीसी महासभा और बहुजन समाज के लोगों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। पूरे देश में उनके खिलाफ प्रदर्शन किया गया था। कई जगहों पर उनके खिलाफ डीएम ऑफिस में ज्ञापन सौंपा गया था। बहुजन समाज ने अपने ज्ञापन में कहा था कि प्रदीप मिश्रा के बयान से संविधान में आस्था रखने वाले लोगों को चोट पहुंची है। उन्होंने प्रदीप मिश्रा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने साफ तौर पर संविधान को बदलने की बात कही है,न कि संशोधन की। वैसे भी संविधान का संशोधन संसद में किया जाता है ना कि धर्मसभा में।

रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका माना जाता है मंदसौर, यहां की जाती है रावण की पूजा

मंदोदरी रामायण का पात्र और पंच-कन्याओं में से एक हैं। इन्हें चिर-कुमारी कहा गया है। मंदोदरी मयदानव की पुत्री थीं और उनका विवाह लंकापति रावण के साथ हुआ था। मंदोदरी सदा अपने पति रावण को अच्छी सलाह देती थीं। मंदोदरी की गिनती भी सती और धर्मात्माओं में की जाती है। उनकी गणना भी पंचकन्याओं में की जाती है। किवदंती है कि रावण की पत्नी मंदोदरी मंदसौर की बेटी थी, मंदसौर का असली नाम दशपुर था। यहां रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता, बल्कि रावण की पूजा की जाती है. किवंदती के अनुसार मंदसौर के लोग रावण को इलाके का दामाद मानते हैं. यहां रावण की करीब 41 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है. मंदसौर शहर के खानपुरा में जहां पूजन करने के लिए नामदेव समाज के लोग आते हैं. यहां रावण की पक्की बनी प्रतिमा का सांकेतिक वध करते हैं. यहां की महिलाएं घूंघट में आती हैं और जब प्रतिमा के समीप पहुंचती हैं, तब घूंघट निकाल लेती हैं. मंदसौर में लोग पूरे साल रावण की पूजा करते हैं.

यही नहीं, मान्यता है कि यहां रावण के पैर में धागा बांधने से बीमारियां दूर होती हैं. रावण को बाबा  कहकर पूजते हैं. धागे दाहिने पैर में बांधे जाते हैं. साथ ही क्षेत्र की खुशहाली, समाज सहित शहर के लोगों को बीमारियों से दूर रखने, प्राकृतिक प्रकोप से बचाने के लिए प्रार्थना करते हुए पूजा-अर्चना की जाती है. दशहरे के दिन यहां नामदेव समाज के लोग जमा होते हैं और पूजा-पाठ करते हैं. उसके बाद शाम के समय राम और रावण की सेना निकलती है. रावण के वध से पहले लोग रावण के सामने खड़े होकर क्षमा-याचना करते हैं. इस दौरान लोग कहते हैं कि आपने सीता का हरण किया था, इसलिए राम की सेना आपका वध करने आई है. रावण के 10 मुख होते हैं, लेकिन यहां नौ मुख ही हैं और बुद्धि भ्रष्ट होने के प्रतीक के रूप में मुख्य मुंह के ऊपर गधे का सिर लगाया गया है.

नामदेव समाज मंदसौर के सचिव राजेश मेड़तवाल ने बताया कि यहां रावण की पूजा इसलिए की जाती है, क्योंकि रावण के बारे में लोग बुराइयों की बात करते हैं, लेकिन वह प्रकांड थे, ज्ञानी थे, आयुर्वेद का अच्छा ज्ञान था. श्री मेड़तवाल ने कहा कि रावण मंदसौर के जमाई माने जाते हैं. प्राचीन शहर मंदसौर दशपुर के नाम से जाना जाता था और दशपुर से मंदोदरी का संबंध माना जाता है. इसी को आधार मानते हुए हम रावण की पूजा करते हैं. रावण के पैर में कलावा बांधा जाता है, जिसके पीछे मान्यता है कि जो बुखार आता है, वह ठीक हो जाता है. पैर में धागा बांधने को लेकर ये भी है कि जितनी मन्नतें होती हैं, वो पूरी हो जाती हैं. दशहरे के दिन हम रावण से हाथ जोड़कर विनती करते हैं कि हम शाम को राम की सेना के साथ आएंगे, युद्ध लड़ेंगे और बुराई पर अच्छाई की जीत होगी.

एक महिला श्रद्धालु बताती हैं कि जब छोटे बच्चे डरते हैं, तब उन्हें यहां का धागा बांधा जाता है. धागा बांधे जाने के बाद उनमें डर खत्म हो जाता है. वहीं, एक अन्य बुजुर्ग श्रद्धालु बताते हैं कि वे साल 1935 से ही यहां आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों की भी मान्यता थी कि रक्षा सूत्र (धागा) बांधने से अपने नगर और अपने परिवार में सुख शांति रहती है. मुझे यहां आते-आते लगभग 80 साल हो गए हैं.

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