मध्य प्रदेश

एमपी : हितग्राहियों के खातों में ऑनलाइन फंड ट्रांसफर में करोड़ों का घोटाला, सरकार के हाथ-पैर फूले

एजी की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा : सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से ऑनलाइन ट्रांसफर में किया जा रहा तगड़ा खेल,

भोपाल। सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को ऑनलाइन ट्रांसफर के माध्यम से भेजी गई राशि में अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा बड़े पैमाने पर गबन और भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। एजी की ऑडिट रिपोर्ट में करोड़ों रुपए के घोटाले और गबन का मामला सामने आने से सरकार के हाथ पैर फूल गए हैं। ऑनलाइन ट्रांसफर सिस्टम में भी किस तरह से किसानों और अधिकारियों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है। यह इसका सबसे बड़ा खुलासा है। पिछले वर्षों में जितने भी ऑनलाइन ट्रांसफर हुए हैं। यदि उनकी बारीकी से छानबीन की जाएगी तो हजारों करोड़ रुपए के बड़े घोटाले उजागर होने में देर नहीं लगेगी।

पटवारियों में बंजर जमीन पर फर्जी सर्वे करके रिपोर्ट बना दी। फर्जी खातेदारों के खाते में करोड़ों की राशि ट्रांसफर कर दी गई। शासन के करोड़ों रुपए का गबन पटवारियों की फर्जी रिपोर्ट और फर्जी तरीके से ऑनलाइन ट्रांसफर में किया गया है। ज्यादा बारिश, म.प्र. में फसल की क्षतिपूर्ति के रूप में सबसे ज्यादा घोटाले और गबन किए गए हैं। ऑडिटर जनरल ने 2019 से 2022 के बीच किसानों को मुआवजे का भुगतान किया गया है। उसकी जांच एजी टीम ने की है। 10,000 से ज्यादा किसानों के खाते नंबर में हेरफेर करके पटवारी और राजस्व अधिकारियों ने सैकड़ों करोड़ का गबन किया है।

सबसे ज्यादा गड़बड़ी वाले जिले

ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट में सबसे ज्यादा गड़बड़ी सीहोर, विदिशा, मंदसौर, शिवपुरी, सतना, दमोह, छतरपुर, देवास, खंडवा, सिवनी, आगर मालवा और श्योपुर जिले में मिली है। अन्य जिलों में भी इसी तरीके की गड़बडिय़ां हैं।

ऑनलाइन ट्रांसफर के अधिकार

पटवारी को 50000 रुपए तक की राशि ट्रांसफर करने के अधिकार हैं। तहसीलदार को 5 लाख रूपये तथा इससे अधिक राशि के लिए कलेक्टर से अनुमति जरूरी होती है। एजी की जांच में पटवारियों ने राहत राशि वितरण में भारी गड़बड़ी की है। पटवारियों ने अपनी पत्नी बेटे और रिश्तेदारों के खातों में राशि ट्रांसफर करके करोड़ों रुपए का घोटाला किया है।

सिंगल क्लिक घोटाले का क्लिक

मध्य प्रदेश सरकार, सिंगल क्लिप के माध्यम से मुआवजे की राशि का वितरण करती है। सरकार के खजाने से बल्क में पेमेंट होता है। इसका फायदा उठाकर पटवारियों द्वारा किसानों और खाते के नंबरों में हेरफेर करके पहले पेमेंट फेल करा दिया जाता है, फिर वापस आई राशि को अपने मनमाने तरीके से रिश्तेदारों, दोस्तों और फर्जी खातों में ट्रांसफर करके यह फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।

फिजिकल वेरीफिकेशन से हो सकते हैं हजारों करोड़ के घोटाले उजागर

जो ऑनलाइन राशि ट्रांसफर की जाती है। उसमें जो बैंक नंबर दर्ज किए जाते हैं। उस समय भारी गड़बड़ी की जाती है। इसकों कम ज्यादा नंबर डाल देने या गलत एंट्री करने के कारण किसानों को भेजी गई राशि वापिस खाते में आकर जमा हो जाती है। बाद में सही ट्रांसफर करने के लिए पटवारी और जो कंप्यूटर ऑपरेटर हैं, उसमें गड़बड़ी करके मनचाहे खातों में रकम ट्रांसफर कर देते हैं। एजी के ऑडिट में सभी जिलों में एक ही खाते में कई बार राशि ट्रान्सफर करने प्रदेश के बाहर के बैंक खातों में तथा एक जिले से दूसरे जिले के बैंक खाते में करोड़ों रुपए की राशि ट्रांसफर करने के प्रमाण मिले हैं।

एजी की रिपोर्ट के बाद जिले से लेकर मंत्रालय तक हड़कंप

एजी ने ऑनलाइन ट्रांसफर में हो रही गड़बडिय़ों के बारे में जो रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की है। उसको लेकर शासन स्तर पर हडक़ंप मचा हुआ है। कोई भी अधिकारी उसके बारे में बात करने के स्थान पर, अभी उस पर जांच करने की बात कह रहा है। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट के आधार पर सभी जिले के कलेक्टर से जानकारी मांगी जा रही है। उन्हें जांच करने के लिए कहा गया है। ऑनलाइन ट्रांसफर में इतने बड़े पैमाने पर जो गड़बडिय़ां हुई हैं। उसको लेकर जिले से लेकर मंत्रालय तक हडक़ंप मचा हुआ है। लेकिन कोई कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है।

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