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इस साल देश में औसत बारिश 106 फीसदी होने की उम्मीद, ला नीना भारत में अधिक वर्षा का कारण

नई दिल्ली

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हाल ही में साल 2024 के दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के लिए मौसम का पूर्वानुमान जारी किया है. IMD के मुताबिक, इस साल का मानसून औसत से ऊपर रहने की उम्मीद है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा.

IMD ने दी जानकारी

IMD के अनुमान के अनुसार, जून से सितंबर तक पूरे देश में मानसूनी वर्षा की अवधि लंबी रहने वाली है. इस दौरान करीब 106 प्रतिशत बारिश का अनुमान लगाया गया है, जिसमें सिर्फ 5 प्रतिशत बारिश कम या ज्यादा होने की उम्मीद है. इस साल का मानसून सामान्य से अधिक रहने की संभावना है. साल 1971 से 2020 तक वर्षा के 50 साल के आंकड़ों के अनुसार, इस साल 87 सेमी बारिश होने की उम्मीद है. एलपीए एक बैंचमार्क है, जिससे वार्षिक वर्षा के औसत को मापा जाता है.

IMD का कहना है कि अल नीनो की स्थिति धीरे-धीरे कमजोर हो रही है. ऐसे में अगस्त-सितंबर के बीच ला नीना की स्थिति पैदा हो सकती है. इसका मतलब ये हैं कि इस साल अच्छी बारिश होने की उम्मीद है.

इस साल जमकर बरसेंगे बादल: आईएमडी

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने सोमवार को कहा, कि मानसून आम तौर पर 1 जून के आसपास केरल में आता है और सितंबर के मध्य में वापस चला जाता है. इस साल औसत बारिश 106 फीसदी होने की उम्मीद है. रविचंद्रन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा पूर्वानुमान से पता चलता है कि जून से सितंबर के दौरान मानसून मौसमी वर्षा लंबी अवधि के औसत का 106 फीसदी होने की संभावना है.

आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि अल नीनो, जो मानसून को बाधित करता है, कमजोर हो रहा है और मानसून आने तक यह हट जाएगा. ला नीना भारत में अधिक वर्षा का कारण बनती है…यह अगस्त तक स्थापित हो जाएगा.

अल नीनो पड़ा कमजोर

वर्तमान में भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र पर अल नीनो की मध्यम स्थिति बनी हुई है. नवीनतम एमएमसीएफएस/MMCFS के साथ-साथ अन्य जलवायु मॉडल पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि मानसून ऋतु के शुरुआती भाग के दौरान अल नीनो की स्थिति और कमजोर होकर तटस्थ ईएनएसओ/ENSO स्थितियों में परिवर्तित होने की संभावना है और इसके बाद मानसून ऋतु के दूसरे भाग में ला नीना स्थितियां विकसित होने की संभावना है. इन कारणों की वजह से इस साल सामान्य से अधिक वर्षा होने के आसार हैं.

वहीं हिंद महासागर पर तटस्थ हिंद महासागर द्विध्रुव/डाइपोल (आईओडी/IOD) स्थितियां मौजूद हैं और नवीनतम जलवायु मॉडल पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि सकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव/डाइपोल (आईओडी/IOD) स्थितियां दक्षिण-पश्चिम मानसून ऋतु के उत्तरार्ध के दौरान विकसित होने की संभावना है. इस कारण से भारत में अधिक मानसूनी वर्षा भी हो सकती है.

आईएमडी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन महीनों (जनवरी से मार्च 2024) के दौरान उत्तरी गोलार्ध में बर्फ की आवरण सीमा सामान्य से कम थी. उत्तरी गोलार्ध के साथ-साथ यूरेशिया में सर्दियों और वसंत में बर्फ की आवरण सीमा का आगामी भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा के साथ सामान्यत विपरीत संबंध है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) मई 2024 के अंतिम सप्ताह में एक संशोधित मानसून पूर्वानुमान जारी करेगा. मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए ये पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र के लिए काफी मददगार होते हैं क्योंकि इससे किसानों को सही निर्णय लेने में मदद मिलती है.

 

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