मां तुम सब जानती हो …
बहुत दिन बीत गए मां से दूर बेटी की हालत क्या होती है, शायद इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है।
मां तेरे आंचल में छिपकर मेरे सपने सजाना
आत्मा को सुकून देने वाला तेरा वो स्पर्श
कड़कड़ाती धूम में मां तेरे हाथों की ठंडक
तुझको छूकर आती हवा में, तपती धूप में चैन
तेरा अपने हाथों से खाने का निवाला खिलाना
तेरी ममता भरी डांट के बाद ढेर सारा दुलार
रात की गहराई में तेरी ममता की रोशनी
दर्द में भी चांद की चांदनी सी तेरी मुस्कुराहट।
कुछ दिन की दूरी भी बेटियां सह नहीं पाती,
मां से दूर जाने का ख्याल भी दिल को खाली कर जाता है।
सब कुछ याद आता है मां।
तुमसे दूर होकर मैंने जाना कर्मों मां अपनी बेटियों को इतना प्यार करती हैं,
क्यों बेटी की आंखों में अपनी खुशियां देखती है,
कर्मों वो उसे अपना सारा प्यार लुटा देती है,
कर्मों बेचैनियां उसे बेटी के जन्म से ही मिल जाती है
क्योंकि मां जानती है जो दुनिया उसे दी गई वो शायद फिर कहीं नहीं मिलेगी।
सबसे प्यारी सबसे न्यारी मां।
अपना ख्याल रखना।
©डॉ. अन्नपूर्णा तिवारी, बिलासपुर, छग