पेण्ड्रा-मरवाही

धनपुर में बासंती चैत्र नवरात्रि की तैयारी जोरों पर, आदिशक्ति मां दुर्गा देवी मंदिर पब्लिक ट्रस्ट की बैठक में लिए गए अनेक फैसले

पेंड्रा { आशुतोष दुबे }। आदिशक्ति मां दुर्गा देवी मंदिर धनपुर में बासंती चैत्र नवरात्रि पर्व की तैयारी जोरों पर है। आगामी 25 मार्च बुधवार से शुरू होने वाले बासंती चैत्र नवरात्रि महोत्सव 2 अप्रैल शनिवार तक आयोजित होगा। नवरात्रि महोत्सव की तैयारी के लिए आदिशक्ति मां दुर्गा देवी मंदिर पब्लिक ट्रस्ट धनपुर में बीते दिन एक बैठक आयोजित हुई।

बैठक में मुख्य रूप से ट्रस्ट के संचालक संत मनु गिरी महाराज, व्यवस्थापक गुलाब वाकरे, कोषाध्यक्ष सुरेश पांडे, उपाध्यक्ष वेद प्रकाश पांडे, ग्राम पंचायत धनपुर की नवनिर्वाचित सरपंच मीरावती रघुवीर श्याम, उपसरपंच श्रीकांत पांडे, ट्रस्ट के सदस्य भागवत सिंह, मार्को सदस्य अक्षय नामदेव, सचिव मार्तंड सिंह, सदस्य एवं पूर्व सरपंच फलपाल सिंह सहित ग्राम पंचायत के नव निर्वाचित पंच एवं ग्रामीण उपस्थित थे। बैठक में नवरात्रि की तैयारी पर चर्चा की गई।

उल्लेखनीय है कि गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के विकासखंड मुख्यालय पेंड्रा से उत्तर में सिवनी जाने के रास्ते में पेंड्रा से 14 किमी दूर मुख्य मार्ग में पुरातात्विक पौराणिक गांव धनपुर स्थित है। यह धनपुर गांव बिलासपुर कटनी रेल मार्ग के पेंड्रा रोड रेलवे स्टेशन से 22 किमी दूर स्थित है जबकि विकासखंड मुख्यालय मरवाही से ग्राम धनपुर की दूरी 30 किमी है।

पुरातात्विक महत्त्व के ग्राम धानपुर में जन श्रुति के अनुसार प्राचीन काल में पांडवों ने रतनपुर में रहने के बाद 1 वर्ष का अज्ञातवास धनपुर के जंगलों में व्यतीत किया था। इस दौरान उन्होंने लगभग 350 तालाब भी बनाए जिनमें से 200 की संख्या में तालाब अभी भी अस्तित्व में है जबकि बाकी तालाब किसानों ने खेत बना लिए हैं। धनपुर मैं खुदाई के दौरान अनेक तरह की मूर्तियां एवं निर्माण के अवशेष मिलते हैं यह शिल्प अविभाजित बिलासपुर जिले में बिखरे जैन कलचुरी है है वंशी मूर्ति शिल्प के समकालीन है जो नववी दसवीं शताब्दी के मालूम पड़ते हैं।

धनपुर जैन धर्मावलंबियों के आश्रय का केंद्र रहा होगा यह यहां यत्र तत्र बिक्री जैन मोतियों के अवशेष से पता चलता है। प्राचीन काल में धनपुर उत्तरा पथ को दक्षिणा पथ से जोड़ने वाला प्रमुख मार्ग रहा है। यह मार्ग अंडी कुल कई झावर बसंतपुर सोनबर सवार होकर केंदा ma3 वालापा जमीदारी से होता हुआ रतनपुर से जुड़ा हुआ था। यही मार्ग जांजगीर शिवरीनारायण नारायण से होकर जगन्नाथपुरी से जुड़ा हुआ है पुराने समय में पशु बाजारों के लिए जाने के लिए यह पशु मार्ग था इस मार्ग पर पड़ने वाले मार्ग में नायक जाति के लोग मिलेंगे जो प्राचीन काल में उत्तर से दक्षिण भारत के मध्य संपर्क सूत्र के रूप में बंजारे का भी कार्य करते थे।

प्राचीन काल में यहां पहाड़ी में स्थित पांडव गुफा में से एक गुप्त मार्ग सोहागपुर को जाता था जिस से धनपुर गुप्त मार्ग के द्वारा सोहागपुर एवं रतनपुर से जुड़ा हुआ था धनपुर में बेनीबाई शहर खेरवा भस्मासुर नामक स्थल है। यहां पहाड़ी के नीचे आदिशक्ति मां दुर्गा देवी का प्राचीन मंदिर है जिसका पौराणिक महत्व है लगभग 20 वर्ष पूर्व धनपुर में एक तपस्वी युवा संत बाबा मनु गिरी आए तथा वही देवी मंदिर के ऊपर पहाड़ी में स्थित गुफा में तब करने लगे।

गांव वालों के संपर्क करने पर तपस्वी संत ने धनपुर के देवी स्थान की महत्वता को देखते हुए यहां दुर्गा देवी के मंदिर के निर्माण का प्रकल्प प्रस्तावित किया जिसे सभी लोगों ने स्वीकार करते हुए सार्वजनिक सहयोग से आदिशक्ति मां दुर्गा देवी के मंदिर का निर्माण करना शुरू कर दिया।लगभग 4000 वर्ग फिट में बन रहे नवनिर्मित दुर्गा मंदिर के 3 गर्भगृह है जिनके तीनों गुंबज ओं का निर्माण पूर्ण हो चुका है तथा मंदिर के सुंदरीकरण का कार्य बाकी है।

आदिशक्ति मां दुर्गा देवी मंदिर पब्लिक ट्रस्ट धनपुर विकासखंड मरवाही के नाम से प्रचलित धनपुर का यह देवी स्थान मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है वर्षभर यहां श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है तथा यहां प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रि तथा क्वार नवरात्रि का धूमधाम से आयोजन किया जाता है तथा भक्तजनों द्वारा ज्योति कलश का प्रज्वलन कराया जाता है।

ग्राम धनपुर में स्थित आदिशक्ति मां दुर्गा देवी मंदिर की बढ़ती कीर्ति को देखते हुए यहां कमिश्नर रहे आईएएस सोन मणि बोरा ने अपने मार्गदर्शन में कलेक्टर की अध्यक्षता में ट्रस्ट का गठन कराया है जो वर्तमान नवगठित जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही का पहला पब्लिक ट्रस्ट है। आदिशक्ति मां दुर्गा देवी मंदिर पब्लिक ट्रस्ट धनपुर का पंजीयन क्रमांक 101 है। ट्रस्ट के संचालक संत बाबा मनु गिरी महाराज है जिनके मार्गदर्शन में मंदिर की गतिविधियां संचालित है यहां की पौराणिक महत्ता को देखते हुए यहां एक पुरातत्व भवन छत्तीसगढ़ शासन की ओर से बनवाया जा रहा है तथा आदिशक्ति मां दुर्गा देवी मंदिर धनपुर के सामने स्थित सोमनाथ सरोवर का लगभग 40 लाख की लागत से सुंदरीकरण छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कराया जा रहा है।

प्राकृतिक सुषमा से परिपूर्ण पत्थर एवं हरियाली से पटी पहाड़ी के नीचे मुख्य मार्ग पर स्थित आदिशक्ति मां दुर्गा देवी मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती हैं जहां लोगों की मुरादे पूरी होती है। कहा जाता है कि है है वंशी राजा रतन देव तुमान से अपनी राजधानी धनपुर स्थानांतरित करना चाहते थे धौलपुर को दुल्हन की तरह सजाया गया था है है वंशी राजा शिकार करते हुए रतनपुर पहुंच गए वहां उन्हें महामाया देवी के दर्शन हुए तब राजा ने धनपुर के स्थान पर रतनपुर को अपनी राजधानी बनाया।

धनपुर की महत्ता इसी बात से पता चलता है की यहां खुदाई के दौरान मठ मंदिर के अवशेष मिलते हैं। ट्रस्ट के जनसंपर्क अधिकारी अक्षय नामदेव ने उक्त आशय की जानकारी देते हुए बताया कि जिन भी श्रद्धालुओं को आदिशक्ति मां दुर्गा देवी मंदिर धनपुर में मनोकामना ज्योति कलश का प्रज्वलन कराना है वे मंदिर ट्रस्ट परिसर में रसीद कटा सकते हैं मनोकामना घृत ज्योति कलश के लिए 1101 रुपए एवं तेल ज्योति कलश के लिए 551 रुपए जवारा कलश के लिए 151 रुपए देकर रसीद कटवा सकते हैं। इसके अलावा ट्रस्ट के सदस्यों आनंद जयसवाल निमधा गुलाब वाकरे धनपुर गणेश पांडे धनपुर तथा धनपुर के सरपंच मीरा वती श्याम उपसरपंच श्रीकांत पांडे पंच अमन सिंह से मिलकर 24 मार्च तक रसीद कटा सकते हैं।

Back to top button