Uncategorized

महाराष्ट्र सरकार को सु्प्रीम कोर्ट से झटका, मराठा को आरक्षण देने पर रोक

नई दिल्ली। दो साल पूर्व महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी नौकरियों और स्कूल कॉलेजों के दाखिला में मराठाओं को आरक्षण देने का कानून बनाया जिसे आज सुप्रीम कोर्ट ने अमल करने से रोक लगा दी है। इस मामले की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट के बड़ी बेंच में होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठाओं के लिये आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी महाराष्ट्र सरकार के 2018 के कानून के अमल पर बुधवार को रोक लगा दी। न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने मराठा आरक्षण का मामला बड़ी बेंच को सौंप दिया है। प्रधान न्यायाधीश नई बेंच गठित करेंगे। शीर्ष अदालत महाराष्ट्र में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिये आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस रवीन्द्र भट की बेंच ने मामला बड़ी बेंच को भेजते हुए कहा कि  2018 के कानून का जो लोग लाभ उठा चुके हैं उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जायेगा।

अब बड़ी बेंच इस पर विचार करेगी कि क्या सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण 1992 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई 50 फीसदी आरक्षण की सीमा से अधिक हो सकता है? 1992 में इन्दिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच के फैसले के बाद आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी कर दिया गया था। इस फैसले के मुताबिक सरकार 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकती।

महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिये शिक्षा और रोजगार में आरक्षण कानून, 2018 में बनाया था।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले साल जून में इस कानून को वैध ठहराते हुये कहा था कि 16 प्रतिशत आरक्षण न्यायोचित नहीं है और इसकी जगह रोजगार में 12 और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के मामलों में 13 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं होना चाहिए।

Back to top button