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कृषि विरोधी कानूनों को रद्द करवाने के लिए किसानों ने खून से लिखा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत …

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले 28 दिनों से सड़क की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) के अध्यक्ष मास्टर श्यौराज ने किसान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने खून से पत्र लिखकर कृषि विरोधीर कानूनों को रद्द करने की मांग की है।

नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच बना गतिरोध अभी दूर होता नहीं दिख रहा है। तीनों कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है। ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार सितंबर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।

भारतीय किसान यूनियन के नेता हरिंदर सिंह लखोवाल ने मंगलवार को यह ऐलान किया था कि 23 तारीख को हम एक टाइम का खाना नहीं खाएंगे। 26 और 27 तारीख को दूतावासों के बाहर हमारे लोग प्रदर्शन करेंगे। 27 तारीख को प्रधानमंत्री ने जो मन की बात का कार्यक्रम रखा है उसका हम थालियां बजाकर विरोध करेंगे।

बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।

दलित प्रेरणा स्थल पर डटे भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) के अध्यक्ष मास्टर श्यौराज सिंह ने किसान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने खून से पत्र लिखकर नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के निर्देश पर डेरेक ओ ब्रायन, सताब्दी रॉय, प्रसून बनर्जी, प्रतिमा मंडल और मोहम्मद नादिमुल हक सहित 5 टीएमसी सांसदों ने आज सिंघु बॉर्डर पर भूख हड़ताल पर बैठे किसानों से मुलाकात की और उनसे बातचीत की। टीएमसी नेताओं ने किसानों की मांगों को जायज बताते हुए उनका समर्थन किया है।

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