लेखक की कलम से

चलो मिलकर सुंदर जहां बनाते हैं …

 

न धर्म न जाति देखें आओ ऐसा हिन्दोस्तान बनाते हैं।

कुछ हम बदलें कुछ तुम बदलो चलो सुंदर जहान बनाते हैं।

 

गैरों सी बात क्यों करें हम सब भला एक ही वतन के;

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई से बेहतर है भारत की शान बनाते हैं।

 

वक्त बदला बहुत कुछ बदला सोच भी बदले तो बात बने;

नफरतों को भुलाकर आओ फिर वतन को महान बनाते हैं।

 

दुश्मन कैसे करता मजाल जो देखे घूर के इस ओर;

एकता की ताक़त दिखा उसको ही अब वीरान बनाते हैं।

 

बहुत हो गया झगड़ा अब आपस में झगड़ना छोड़ दो;

हिन्दी हैं हम वतन है विश्व में अमिट इसकी पहचान बनाते हैं।

 

वो लड़ाते रहे कभी धर्म कभी जाति के नाम पर हमको ;

उनके इरादों को अपनी अच्छाइयों से हम सुनसान बनाते हैं।

 

इक दौर था इतिहास का गर याद हो हमें अपने वतन का;

सोने की चिड़िया बना विश्व में पहले सी पहचान बनाते हैं।

 

चलो मिलकर इक अच्छा सा जहान बनाते हैं।

 

 

©कामनी गुप्ता, जम्मू

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