लेखक की कलम से
रुक जाओ फाल्गुन …
पल भर ठहर जाओ
मनभावन फाल्गुन
सुन लेने दो
शाख़ से गिरे
भुरभुराते पत्तों का
खनखनाता संगीत
रंग जाने दो मेरी रूह
अमलतास गुलमोहर
और चेरी ब्लासम
के मनमोहक रंगों में
खेल लेने दो होली
बाल गोपाल संग
पल दो पल और
रंग जाने दो मुझे
पी के रंग में
गा लेने दो कोई फ़ाग़
फिर ले आएगा मौसम
धूल भरी आँधियाँ
उड़ा ले जाएँगी सब
संगीत, फूल और रंग
न ठहरा है कभी मौसम
न ठहरेगा कभी जीवन
ठहर गया जिस रोज़
बस फिर विश्राम ही विश्राम
मिल जाएगा फिर निर्वाण ।
©अलका काँसरा, चंडीगढ़