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उदयपुर में छत्तीसगढ़ की स्नेहलता और शिक्षिकाओं ने मचाई फिर धूम, गौरा-गौरी, भोजली गीत पर झूमे लोग

सीसीआरटी ट्रेनिग उदयपुर राजस्थान में कार्यक्रम

उदयपुर। सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण संस्थान उदयपुर राजस्थान में छत्तीसगढ़ की शिक्षिकाओं ने एक बार फिर से सांस्कृतिक कार्यक्रमों में धूम मचाई है। गौरा-गौरी नृत्य के साथ ही ‘अरपा पैरी के धार’ फिर से उदयपुर में गूंजते रहा।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण संस्थान उदयपुर राजस्थान द्वारा भारत की लोक कलाओं और संस्कृतियों को स्कूलों के माध्यम से बच्चों और आमजन तक पहुंचाने का एक अभिनव प्रयास किया जा रहा है। 15 दिन पूर्व ही पूरे भारत भर से स्कूली शिक्षिकाओं का एक दल यहां आया हुआ था। इसके तुरंत बाद ही फिर से देश के चुनिंदा राज्यों से शिक्षक और शिक्षिकाओं का एक दल यहां आया हुआ है।

सीसीआरटी ट्रेनिंग उदयपुर राजस्थान में विभिन्न राज्यों से आए शिक्षकों ने अपनी विभिन्न प्रस्तुतियों से मन मोह लिया। छत्तीसगढ़ के शिक्षकों ने भावपूर्ण  नृत्य गौरा-गौरी तथा आदिवासी गीत ‘महुआ झरे महुआ झरे’ पर नृत्य व भोजली गीत की प्रस्तुति देकर सबका ध्यान छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोकपरंपरा की ओर खींचा। साथियों के द्वारा प्रस्तुत गौरा-गौरी प्रदर्शन में देवी के रूप का भव्य प्रदर्शन किया गया। विभिन्न राज्यों से पहुंची महिलाओं ने छत्तीसगढ़ी नृत्य करने के साथ ही छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद भी साथ में लिया।

यहां आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मा.शा. आदर्शनगर सीतापुर से स्नेहलता टोप्पो, रायपुर से सुचिता साहू, सुजाता महापात्र, रजनी बाजपेयी, पुष्पा पटेल, रेखा रावत साहू, प्रमोद महंत ने मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति देकर छत्तीसगढ़ के लोकनृत्यों हरेली, छेरछेरा व फाग गीत तथा गौरा-गौरी को पारंपरिक परिधान व साज-सज्जा के साथ प्रस्तुत किया। साथ ही छत्तीसगढ़ के व्यंजन, छत्तीसगढ़ के गहने, टेरीकोटा आर्ट, कोसा के वस्रों व यहां निवास करने वाली बहूल आदिवासी जनजाति की झलक पोस्टर, चार्ट के माध्यम से भव्य प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ की जीवंत झलक प्रस्तुत की। इसके साथ  ही कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ का राज्यगीत ‘अरपा पैरी के धार’ गाया गया।

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