छत्तीसगढ़

आंगनबाड़ी प्राथमिक शिक्षा की नींव, सुपोषण चौपाल में शामिल हुए अतिथि

उतरदा। ग्राम पंचायत उतरदा के आंगनबाड़ी केंद्र सरगुजिया पारा में सुपोषण चौपाल का आयोजन किया गया| जिसमें मुख्य अतिथि राकेश टंडन कक व्याक्ष्याता  रसायन शास्त्र शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उतरदा द्वारा आंगनबाड़ी को प्राथमिक शाला की नीव बताया गया। यदि बच्चों का आंगनबाड़ी में शिक्षा का नीव मजबूत होती है तो प्राथमिक शाला माध्यमिक शाला तथा उच्च शिक्षा में विद्यार्थी की गुणवत्ता भी होगी ।ग्रामीण बच्चों को यदि आंगनबाड़ी में अच्छी शिक्षा दी जाए तो निजी  स्कूलों की आवश्यकता नहीं रह जाएगी| आंगनबाड़ी में बच्चों को पोशाक खाद्य पदार्थों सहित अच्छी शिक्षा भी दी जानी चाहिए |आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों का अक्षर ज्ञान, मात्राएं ,गिनती एवं पहाड़ा तथा शब्दों एवं वाक्यों को पढ़ना एवं समझना आ जाए तो ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा की एक नई जागृति उत्पन्न हो जाएगी ।वास्तव में आंगनबाड़ी में बच्चों के अंदर स्कूल जाने के भय खत्म होता है तथा बच्चों के घर एवं स्कूल के बीच की एक बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी होती है, इसलिए सभी को अपने बच्चों को आंगनबाड़ी भेजना चाहिए ताकि बच्चों के अंदर प्री प्राइमरी शिक्षा के प्रति आनंदमय युक्त वातावरण में शिक्षा हो सके ।

विशिष्ट अतिथि व्याख्याता  उत्तम सिंह मरावी द्वारा यह बताया गया कि आंगनवाड़ी केंद्र ग्रामीण शिक्षा के लिए नीव की ईंट साबित हो सकती हैं |आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती यशवंती बर्मन द्वारा बताया गया की सरगुजिया पारा के सभी छोटे बच्चे एवं गर्भवती महिलाएं आंगनबाड़ी में आकर के सुविधा प्राप्त कर सकते हैं| इस  सुपोषण चौपाल में बीमारियों के बचाव के लिए हाथ की सफाई जरूरी है ।स्वच्छ जल और साफ-सफाई ,कृमि नाशक अपनाएं और पेट में होने वाले कीड़ों से बचें, हाथ की सफाई का तरीका ,घर तथा सार्वजनिक स्थल स्वच्छ रखें, पोषण आहार तथा कुपोषित बच्चों को चिन्हांकन, गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण आहार की सुविधा की जानकारी ,विषयों पर परिचर्चा हुआ ।

इस कार्यक्रम में बृजपाल, हरि सिंह, प्रेम सिंह बघेल , शतानंद , प्रदीप, संतन, डिडनेश्वर, समारू राम भारद्वाज तथा आंगनबाड़ी के कार्यकर्ता एवं सहायिका ईश्वरी, यशवंती बर्मन, अनुराधा जगत, तरुणा कांति राठौर , अन्नपूर्णा साहू , अनीता पोर्ते ,राधिका राठौर , सतरूपा यादव , गायत्री जगत ,संतोषी मरावी तथा लक्ष्मण मरावी उपस्थित थे। बच्चों को खीर पुरी तथा पौष्टिक आहार प्रदान किया गया।

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