लेखक की कलम से

रोजगार – बेरोजगारी …

 

रोजगार की चाह में लोग दर-दर भटक रहे हैं,

बेरोजगारी इतनी बढ़ गई कि कुछ भी ना समझ रहे हैं।

 

सरकार ने भी हार मान कर सरकारी पेपरों की अनुमति दे डाली,

कोरोना का ध्यान न रखकर प्रशासन ने भी अनदेखी कर डाली।।

 

लोगों ने रोजगार को लेकर रोड़ों पर नारेबाजी की,

कोरोना जैसी महामारी से सबने आफत मोल ली।

 

कोई तो लोगों को समझाएं की जान है तो रोजगार है,

वरना लोगों के लिए बेरोजगारी में क्या नुकसान है।।

 

आम जनता को सेवाएं देने काम-काज पर जो जाते हैं,

उनसे पूछो हाल देश का जान की बाजी लगाकर जो कमाते हैं।।

 

अरे! जान ही नहीं रही अगर तो, उस रोजगार का क्या करेंगे?

चिला चिलाकर नारे बाजी से किसका क्या कर लेंगे।

 

कुछ दिमाग लगाकर इनकम का सोर्स निकालो,

क्यों दोष दूसरों को देते खुद जो करना है कर डालो।।

 

याद रहे सबको यह की जान है तो जहान है,

क्योंकि जान के बिना सब बीरान है।।।

 

  ©सुरभि शर्मा, शिवपुरी, मध्य प्रदेश    

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