छत्तीसगढ़

हसदेव नहर गेट खरीदी मामले में 27 साल बाद इंजीनियर को सजा

कोरबा (गेंदलाल शुक्ल)। मिनीमाता हसदेव बांगो परियोजना बिलासपुर के हसदेव नहर संभाग क्रमांक 1 कोरबा में 27 साल पहले स्टील गेट खरीदी में 24 लाख का घोटाला हुआ था। मामला भोपाल के एंटी करप्शन ब्यूरो ने पकड़ा था। मामले में गुरुवार को एक इंजीनियर को कारावास और जुर्माना की सजा सुनाई गई।

न्यायालीय सूत्रों के अनुसार इसमें तत्कालीन कार्यपालन यंत्री समेत 5 लोगों को आरोपी बनाया था। मामले की सुनवाई विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण कोरबा में शुरू हुई। इस दौरान तत्कालीन कार्यपालन यंत्री एके भारदिया की मौत हो गई, जबकि इंजीनियर टीजे थॉमस फरार थे। इसलिए न्यायालय ने बाकी तीन आरोपी पीके श्रीवास्तव, आनंद कुमार और एसके स्टील के प्रोपाइटर सुरेश चौहान के खिलाफ सुनवाई की।

26 साल बाद फरवरी 2018 को विशेष न्यायालय में तीनों आरोपियों के खिलाफ  दोष सिद्ध होने पर सजा सुनाई गई थी। सभी आरोपियों को 4 साल कारावास और 25 हजार अर्थदंड के अलावा एक साल कारावास और 10 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। जबकि इंजीनियर थॉमस के खिलाफ  विशेष न्यायालय में अलग से सुनवाई चली।

सरकारी वकील रोहित राजवाड़े ने शासन की ओर से पैरवी की। थॉमस पर दोष सिद्ध हो गया। गुरुवार को उन्हें 4 साल कारावास और 25 हजार अर्थदंड के अलावा एक साल कारावास और 10 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई।

अभियोजन के अनुसार यह घोटाला वर्ष 1987 से 1989 के बीच का है। मिनीमाता हसदेव बांगो परियोजना बिलासपुर के हसदेव नहर संभाग नंबर. 1 रामपुर कोरबा के विभिन्न अनुविभागों के निर्माणाधीन नहर और पुल में पानी के सही संचालन के लिए स्कूस गेट और शटर्स लगाना था। इसकी खरीदी के लिए निविदा जारी की गई।

नहर के गेट में स्पेशिफि केशन डिजाइन के प्लेट लगाए जाने थे, जिसकी मोटाई 14 एमएम निर्धारित की गई थी। इसकी जगह सप्लाई का ठेका लेने वाले डीई रोड दुर्ग की एसके स्टील इंडस्ट्रीज ने 8 एमएम का प्लेट भेजा। अधिकारियों ने कम गुणवत्ता वाली प्लेट को नहर में लगवा दिया था। शिकायत पर जब जल संसाधन विभाग की तकनीकी टीम ने जांच की तो 24 लाख रुपए की हानि का पता चला था। इसके बाद मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने कार्रवाई की थी।

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