धर्म

अन्नपूर्णा से परिपूर्ण है नर्मदा का तटीय क्षेत्र ….

नर्मदा परिक्रमा भाग -9

अक्षय नामदेव । होशंगाबाद से ओंकारेश्वर तक की यात्रा कुछ लंबी है। रास्ते में सड़क के दोनों ओर जहां तक नजर जाती गेहूं के लहलहाते खेतों के अलावा अगर दिखता तो वह आसमान। कहीं गेहूं की फसल पक रही थी तो कहीं हार्वेस्टर से गेहूं की कटाई चल रही थी। हार्वेस्टर भी कई तरह के। छोटे किसान छोटे हार्वेस्टर जो ट्रैक्टर की मदद से चलते हैं से गेहूं की कटाई कर रहे थे तो बड़े किसान बड़े हार्वेस्टर से। मतलब नर्मदा का तटीय क्षेत्र गेहूं की बंपर पैदावार के कारण समृद्धशाली है। निश्चित रूप से यह मां नर्मदा के जल का प्रभाव है। नर्मदा की कछार की मिट्टी भी गेहूं की पैदावार के अनुकूल है साथ में सिंचाई की भी अच्छी सुविधा है। पूरे मालवा अंचल में नहरों का जाल बिछा है जहां नहरे नहीं है वहां ट्यूबवेल के माध्यम से अच्छी सिंचाई हो रही है। स्प्रिंकलर जैसे सिंचाई उपकरण का उपयोग छोटे बड़े किसान करते हुए गेहूं के साथ अन्य फसलें भी ले रहे हैं। जहां कटाई हो गई है वहां तेजी से जुताई का कार्य चल रहा है। देखने से ही पता चलता है कि यहां के लोग खेती पर ही विशेष ध्यान देते हैं नर्मदा तटीय गांव एवं नगरों में जगह-जगह गन्ना की बंपर पैदावार भी देखने को मिली। नर्मदा मैया के तट एवं रेतीले पाट पर भी किसानों ने खेती कर रखी है। सब्जियों का भी बंपर उत्पादन हो रहा है और किसान आत्म विश्वास से लबरेज हैं। यह मां नर्मदा की भक्ति एवं कृपा का प्रभाव नहीं तो और क्या है?

जिन रास्तों से हम गुजर रहे थे वहां हर 5-10 किलोमीटर के भीतर बड़े-बड़े कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस बने मिले जिनमें किसानों की बराबर आवाजाही दिख रही थी। यह वेयरहाउस कोल्ड स्टोरेज सहकारी समितियों के माध्यम , कृषि विभाग तथा निजी लोगों द्वारा द्वारा संचालित है जिनका किसान अच्छा उपयोग कर आर्थिक रूप से समृद्ध हैं।

जब हम रास्ते में नर्मदा के तटीय क्षेत्रों में समृद्ध साली खेती की चर्चा कर रहे थे तब श्री राम निवास तिवारी जी ने मध्य प्रदेश के अनेक नेताओं का नाम बताया जिन्होंने अपने क्षेत्र की खेती एवं किसानों को समृद्ध बनाने के लिए काम किया जिसका लाभ किसानों को मिल रहा है।

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