लेखक की कलम से
अवध पूरी सा धाम …
तू ही मेरा राम, तू ही मेरा राम।
बना दे मन, अवधपुरी सा धाम।।
1.तुम्हीं भगवान, भक्ति भी तुम हो।
तुम्हीं स्वामी, शक्ति भी तुम हो।
बना सहचर, कर दे कल्याण।
तू ही मेरा राम, तू ही मेरा राम।।
2.तेरा ही अनुशासन मानूँ।
मानूँ तुझे, मैं कुछ न जानूँ ।।
सिर्फ करूँ मैं, तेरा काम।
तू ही मेरा राम, तू ही मेरा राम।।
3.खुले हैं, कपाट मेरे ।
आये सब, प्रकाश तेरे।
मेरी माला में, तेरा नाम।।
तू ही मेरा राम, तू ही मेरा राम।
बना दे मन, अवधपुरी सा धाम।।
©रानी साहूरानी, मड़ई (खम्हरिया)