मध्य प्रदेश

कटनी के तिगवां में पुरातत्व संग्रहालय बनाने एएसआई ने भेजा प्रस्ताव

क्षेत्र में बड़ी संख्या में मंदिर, मूर्तियां और भग्नावशेष हैं मौजूद

भोपाल। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के जबलपुर रीजन में ऐतिहासिक महत्व के अनेक प्राचीन मंदिर, मूर्तियां और भग्नावशेष मौजूद हैं। ये पुरा संपदा शताब्दियों पूर्व का इतिहास समेटे हुए हैं। इन धरोहरों को संरक्षित कर उनकी ओर पर्यटकों को आकर्षित करने के प्रयास जारी हैं। इस मामले में एएसआई जबलपुर रीजन की ओर से भोपाल और दिल्ली से पत्राचार भी शुरू हो चुका है। संभव है कि जल्द इसे लेकर अनुमति प्राप्त हो जाए। तिगवां का मंदिर परिसर गुप्त कालीन स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण है।

इसी कड़ी में जबलपुर से करीब 73 और कटनी जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर की दूरी पर है, तिगवां। यह गांव कटनी जिले की ही बहोरीबंद तहसील में स्थित है। इस गांव में पांचवीं सदी के आस-पास के मंदिर और भग्न प्रतिमाएं मौजूद हैं। उनके संरक्षण के प्रयास पुरातत्व विभाग की ओर से लगातार किए जा रहे हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो तिगवां मंदिर परिसर में संग्रहालय का निर्माण हो जाएगा। इतिहासविदों के अनुसार 19वीं शताब्दी के शुरुआती दौर में तिगवां में मंदिरों का समूह मौजूद रहा। यहां 35 से अधिक मंदिर मौजूद थे। लेकिन पुरा-महत्व की अज्ञानता के चलते धीरे-धीरे इन मंदिरों को तोड़ दिया गया। वर्तमान समय में इस पुरास्थल पर कंकाली देवी का मंदिर और इसके आस-पास कुछ अवशेष ही शेष हैं। गुप्तकाल के दौरान इन मंदिरों का निर्माण हुआ, जिसमें उत्तर भारतीय मंदिर स्थापत्य कला की स्पष्ट झलक दिखाइ पड़ती है। यहां के मंदिर हिन्दू मंदिरों की वास्तुकला के प्रारंभिक चरण के संकेत देते हैं।

कंकाली मंदिर में भी गर्भगृह

यहां स्थित कंकाली मंदिर में भी गर्भगृह है और उसके ठीक सामने निर्मित दोनों ओर से बंद चार स्तंभों पर बना एक मंडप है। यह मंदिर एक चबूतरे पर स्थित है। इस मंदिर की छत सपाट है। मंदिर के मंडप में चामुंडा देवी जिन्हें माता कंकाली भी कहा जाता है की प्रतिमा भी है। इस मंदिर में निर्मित स्तम्भ अत्यंत ही अलंकृत है, जो गुप्तकाल की स्थापत्य कला का उदाहरण है। इस मंदिर के द्वार पर कुर्म वाहिनी यमुना और मकर वाहिनी गंगा के शिल्प मौजूद हैं।

विष्णु अवतारों की प्रतिमाएं

इस मंदिर परिसर में भगवान विष्णु अवतारों की भी प्रतिमा विराजित हैं। मंदिर के गर्भगृह में भगवान नृसिंह की प्रतिमा, अंतराल में शेषशायी भगवान विष्णु व वराह प्रतिमा दिखाई पड़ती है। मंडप के सामने योग नारायण भगवान विष्णु की एक प्रतिमा उकेरी हुई है। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु के सिर पर सर्प का फन बना हुआ है। मंदिर में शैव प्रतिमाएं भी हैं। यहां के मंदिरों एवं प्रतिमाओं में शानदार नक्काशी की झलक देखने को मिलती है। मंदिरों की दीवारों पर उकेरी गई प्रतिमाएं अद्भुत हैं।

भग्नावशेषों को संरक्षित कर संग्रहालय बनाने की दिशा में कर रहे प्रयास

इस संबंध में जबलपुर रीजन के पुरातत्व अधीक्षक,  डॉ. शिवाकांत बाजपेई ने बताया कि क्षेत्र में बड़ी मात्रा में मंदिरों एवं प्रतिमाओं के भग्नावशेष हैं। इन्हें संरक्षित किया जा रहा है। यहां संग्रहालय बनाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। संभव है कि जल्द ही इसको लेकर अनुमति भी प्राप्त हो जाए।

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