रायपुर

आखिर एजाज ढेबर ही बने रायपुर के महापौर

मृत्युंजय दुबे को 12 मतों से हराया

रायपुर (गुणनिधि मिश्रा)। सभी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने आखिर एजाज ढेबर को ही रायपुर में महापौर बनाने का फैसला लिया। महापौर के लिए चुनाव तो औपचारिकता थी। 29 के मुकाबले 41 मत प्राप्त कर एजाज ढेबर ने महापौर का चुनाव जीत लिया। पूर्व महापौर प्रमोद दुबे को सभापति बनाया गया है।

लगभग एक सप्ताह पहले ही दिल्ली बुलेटिन ने महापौर के लिए एजाज ढेबर, ज्ञानेश शर्मा और प्रमोद दुबे को संभावित दावेदार बताते हुए एक रपट प्रकाशित की थी। इसमें भी एजाज ढेबर को महापौर बनाए जाने की संभावना व्यक्त करते हुए यह बताया गया कि चूंकि प्रमोद दुबे की वरिष्ठता को ध्यान में रखा जाना जरुरी है ऐसे में प्रमोद दुबे सिर्फ पार्षद नहीं रहेंगे। जाहिर है उनको सम्मानजनक पद मिलना था। इसी हिसाब से सभापति बनाए जाने की कयास शुरू से लगाए जा  रहे थे। ज्ञानेश शर्मा भी महापौर के लिए मजबूत दावेदार थे। महापौर के लिए वे काबिल भी थे लेकिन जातिय समीकरण के हिसाब से प्रमोद दुबे और ज्ञानेश शर्मा में से किसी एक को ही महत्वपूर्ण पद पर लिया जाना था।

एजाज ढेबर की दावेदारी इसलिए मजबूत थी कि वे रायपुर में विपरित परिस्थिति में संघर्ष किया हैं। पहले वे अजीत जोगी के साथ थे और जब अजीत जोगी ने अपनी पार्टी बनाई तब उन्होंने कांग्रेस पर ही निष्ठा जताया और रायपुर में कांग्रेस को मजबूत करने में जुटे रहे। एनएसयूआई और युवक कांग्रेस से होते हुए कांग्रेस कमेटी में भी उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। पिछले कार्यकाल में एजाज ढेबर नगर निगम में पार्षद थे। इस बार पार्षद का जब चुनाव हुआ तब सबसे अधिक मतों से रायपुर नगर निगम में उन्होंने पार्षद के लिए जीत दर्ज की।

भूपेश बघेल के विश्वसनीय

रायपुर की राजनीति में एजाज ढेबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के टीम का हिस्सा माना जाता है। पांच साल जब भूपेश बघेल ने रमन सरकार से लड़ाई लड़ी तब एजाज ढेबर भी इसमें सक्रिय रहे। इसके अलावा युवा और दबंग चेहरा को महापौर के रूप में रायपुर में आगे लाना था। पिछले कार्यकाल में कांग्रेस के लिए प्रमोद दुबे भी इसी तरह के चेहरा थे। भाजपा शासनकाल में भी पूरी दमदारी के साथ महापौर पद का निर्वहन किया। प्रदेश के दूसरे शहरों में कांग्रेस-भाजपा की लड़ाई हुई लेकिन रायपुर में भाजपा के नेताओं ने भी प्रमोद दुबे के साथ सामंजस्य बनाकर काम किया।

तो प्रमोद दुबे का सम्मान ही है

निवृत्तमान महापौर प्रमोद दुबे ऐसे तो निर्विवाद रहे। रायपुर नगर निगम के हिसाब से और कांग्रेस के हिसाब से भी। महापौर पद के लिए उनकी स्वाभाविक दावेदारी थी। ऐसे में उनके कद के हिसाब से सम्मान देने के लिए ही सभापति बनाए जाने का निर्णय कांग्रेस के रणनीतिकारों ने लिया। महापौर रहने के बाद आखिर प्रमोद दुबे सिर्फ पार्षद कैसे रह सकते थे। इसका उदाहरण एक सप्ताह पहले ही कांग्रेस के एक दिग्गज नेता ने यह कहते हुए दिया कि रायपुर नगर निगम में वही होगा जो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के समय हुआ। डॉ चरण दास महंत को उनकी वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया। ऐसा ही नगर निगम में प्रमोद दुबे को सभापति बनाकर किया जाएगा। आखिर यह फार्मूला सही साबित हुआ।

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