लेखक की कलम से
पावन नगरी नीज धाम रघुवर की …
हर्षित है वसुंधरा की कण कण,
प्रसून मुस्काते तरुवर की डाली,
आज झूम उठा ये गगन मण्डल,
देखो शुभ बेला की ये तरुणाई है,
ये पावन नगरी नीज धाम रघुवर की ||
लहर मारती सरयू की ये जल धारा,
कहती है गाथा आज युगों-युगों की,
है पुण्य सलिला अमृत ये जल धारा,
जननी माँ भारती की चन्दन मिट्टी है,
ये पावन नगरी नीज धाम रघुवर की ||
चारो दिशा-दिशा में गुंजित नाम है,
सबके घट घट वासी रघुवर श्रीराम,
वर्षो की आशा ये पूरित जो काज है,
शुभ बेला की करते है सब अगुवाई,
ये पावन नगरी नीज धाम रघुवर की ||
देखो आज शान्ति का पैगाम होगा,
विश्व मे एतिहासिक ये मंदिर बनेगा,
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के गान से,
राम राज्य की कल्पना सकार होगा,
ये पावन नगरी नीज धाम रघुवर की ||
©योगेश ध्रुव, धमतरी, छत्तीसगढ़