दिल्ली बुलेटिन विशेष : लॉकडाउन शुरू होने के बाद कोटा में एलन कोचिंग सेंटर ने विद्यार्थियों के लिए ऐसी व्यवस्था दी कि देशभर के लोग हो गए कायल
नई दिल्ली {प्रमोद शर्मा} । कोचिंग के मामले में एलन पूरे भारत में एक बड़ा ग्रुप है। इस ग्रुप में राजस्थान के कोटा को कोचिंग हब के रूप में तैयार कर लिया है। हर साल यहां डेढ़ लाख बच्चे देशभर से कोचिंग के लिए आते हैं। इसमें से 1 लाख से अधिक बच्चे एलन में ही दाखिला लेते हैं। आमतौर पर यह धारणा है कि कोई भी संस्था के लोग सिर्फ व्यवसाय करते हैं बाकी सरोकार से कोई लेना-देना नहीं होता। मगर एलन ने लॉकडाउन शुरू होने के बाद नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए जो व्यवस्था कोटा में बच्चों को उनके गृह राज्यों को भेजने के लिए तैयार की है, उससे सिर्फ राजस्थान सरकार ही नहीं वे सभी राज्य सरकार के नुमाइंदे प्रभावित होकर आ रहे हैं जो एलन ने व्यवस्था बच्चों के लिए ही नहीं अधिकारी-कर्मचारी, पुलिस के जवान से लेकर ड्राइवर-कंडक्टर के लिए बनाई है।
पीएमटी, आईआईटी जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग का एक बड़ा हब राजस्थान के कोटा में बना हुआ है। 22 मार्च को जब जनता कर्फ्यू घोषित हुई उस दिन कोटा के सारे होटल-रेस्टोरेंट बंद थे। तब एलन प्रबंधन को लगा कि ऐसे बच्चे जो पीजी के रुप में रह रहे हैं उनको भोजन कैसे मिलेगा। एलन की टीम ने अपने कोचिंग सेंटर के अलावा कोटा के सभी कोचिंग सेंटर्स को यह सूचना दी कि जिन बच्चों को आज जनता कर्फ्यू में भोजन नहीं मिल रहा हो वे एलन के सेंटर से भोजन का पैकेट ले सकते हैं। उस दिन लगभग 11 सौ बच्चों के लिए अतिरिक्त भोजन बनवाया गया।
इस जनता कर्फ्यू के बाद राजस्थान सरकार ने पहले लॉकडाउन की घोषणा की, तब पीजी के रुप में रह रहे बच्चों को खाने की दिक्कतें होने लगी। एलन ने स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी के नाम से एक कीचन तैयार कर लिया और कोटा में रह रहे सभी बच्चों को यह सूचना दे दी कि जिन्हें भी खाने की दिक्कत हो वे दिए गए हेल्पलाइन नंबर पर फोन करके या स्वयं आकर भोजन का पैकेट प्राप्त कर सकते हैं। शुरूआत में एलन प्रबंधन सहित दूसरे कोचिंग सेंटर को इस बात का आभास नहीं था कि कोरोना की वजह से लॉकडाउन इतने अधिक दिनों तक चलने वाला है।
कोचिंग के लिए रहने वाले बच्चे दो तरह की व्यवस्था में रहते हैं। एक हॉस्टल की व्यवस्था और दूसरी पीजी की व्यवस्था। हॉस्टल में तो भोजन हॉस्टल वाले देते हैं लेकिन पीजी में लॉकडाउन के कारण रेस्टोरेंट बंद हो जाने से बहुत सारे बच्चों को भोजन की तकलीफ होने लगी। दूसरा यह कि लॉकडाउन के बाद बच्चे कहीं आ-जा नहीं सकते। शासन-प्रशासन से लेकर कोचिंग सेंटर वालों की कड़ी व्यवस्था है, ऐसे में एक कमरे के भीतर रहते-रहते लड़के और लड़कियां परेशान होने लगे। अलग-अलग राज्यों से पालक अपने बच्चों को लेने के लिए कोटा आए। सरकार और प्रशासन के नियमों के चलते इस बात की परेशानी हुई कि बच्चों को स्वयं के वाहन से ले जा पाना आसान काम नहीं था। एलन ने तब अपने कर्मचारियों से यह जानकारी इकट्ठा करने को कहा कि किन-किन राज्यों के कितने बच्चे कोटा में कोचिंग के लिए अभी हैं। आमतौर पर यहां डेढ़ लाख के करीब बच्चे हर साल कोचिंग के लिए आते हैं लेकिन अभी कोचिंग समाप्त हो जाने के बाद अप्रैल माह से ही नया बैच प्रारंभ होना था। इसलिए 40 हजार के लगभग बच्चे कोटा में अभी मौजूद थे। इन 40 हजार में से 25 हजार एलन के और 15 हजार अन्य कोचिंग संस्थाओं के बच्चे हैं।
डायरेक्टर नवीन माहेश्वरी ने की सार्थक पहल
एलन के डायरेक्टर नवीन माहेश्वरी ने कोटा प्रशासन और राजस्थान सरकार से बात की कि दूसरे राज्यों के बच्चों को बसों के माध्यम से ही भेजा जा सकता है। राज्य सरकारें बसें भेजने के लिए व्यवस्था कर दें। राज्यों के हिसाब से पूरी सूची हमारे पास मौजूद है। कोटा से बच्चों को भेजने की पूरी व्यवस्था एलन कराएगी। इस व्यवस्था में संबंधित राज्य से बसों के आने के बाद तीन अलग-अलग सेंटर में बच्चों को एकत्रित करना राजस्थान, स्वास्थ्य विभाग व एलन के मेडिकल टीम द्वारा थर्मल स्केनिंग और फिर फूड का पैकेट देकर बच्चों को बसों में बैठाना। एलन ने भोजन व्यवस्था से लेकर अलग-अलग जगहों में 150 लोगों की टीम तैयार कर रख्री है। बच्चे जब अपना सामान लेकर बस में चढ़ने के लिए जाते हैं तब स्वास्थ्य परीक्षण के बाद एलन की तरफ से पानी की बॉटल सहित सूखा भोजन का एक पैकट दिया जाता है, जिससे वे कम से कम रास्ते में परेशान न हों।
राज्यों से जब बसें कोटा के एलन परिसर में पहुंचती है तब ड्राइवर-कंडक्टर, सुरक्षा में लगे पुलिस अधिकारी, हेल्थ टीम और अधिकारियों के लिए अलग –अलग जगहों में रूकने की व्यवस्था की जाती है। यहां पर चाय-नाश्ते से लेकर भोजन का पैकेट दिया जाता है। अधिकारियों को एलन के गेस्ट हाउस में ठहराया जाता है। वहां की व्यवस्था पांच सितारा होटल से कम का नहीं है। राजस्थान में अभी लॉकडाउन के बाद 40 हजार बच्चे फंसे हुए थे। उसमें सबसे अधिक साढ़े 12 हजार छात्र-छात्राएं उत्तरप्रदेश और उतरांचल के थे। इन राज्यों ने सबसे पहले बच्चों को ले जाने की व्यवस्था की फिर हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और हरियाणा की सरकारें अपने-अपने राज्य के बच्चों को बसें भेजकर ला चुकीं हैं।
आसान नहीं है मुकम्मल व्यवस्था बनाना
एलन के जनसंपर्क अधिकारी नीतेश शर्मा ने बताया कि राज्यों से बसें जब कोटा एलन परिसर में पहुंचती है तब बसों का सेनेटाइज किया जाता है। एक-एक बच्चे का मेडिकल चेकअप, थर्मल स्क्रीनिंग सहित पूरी जांच की जाती है कि बच्चों को कहीं रास्ते में तकलीफ न हो। कीचन में खाना बनाने वालों का रोज हेल्थ चेकअप किया जाता है। बच्चों की रुचि के मुताबिक खाने का पैकेट उन्हें दिया जाता है। एलन ही नहीं दूसरे कोचिंग सेंटर के बच्चों को भी उनके राज्यों में पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल और कर्नाटक के बच्चे अभी जाने वाले हैं। महाराष्ट्र सरकार ने अभी तय नहीं किया है कि बच्चों को वो कब ले जाएंगे। जनसंपर्क अधिकारी नीतेश शर्मा का कहना है कि यहां पर एलन ने जो व्यवस्था बनाई है वह स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी से है। सभी कार्यों में एलन के डायरेक्टर नवीन माहेश्वरी ने विशेष रुचि ली। वे प्रशासनिक अधिकारियों के संपर्क में लगातार रहे। सबके सहयोग से यह संभव हो पाया।