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ऑस्ट्रेलिया में बैन होगा स्वास्तिक जैसा चिह्न, तानाशाह हिटलर से इसका है ताल्लुक….

नई दिल्ली । ऑस्ट्रेलिया की सरकार जल्द ही अपने देश में हिंसा की गतिविधियों को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाने वाली है। सरकार जल्द ही दक्षिणपंथी सोच रखने वाले लोगों पर लगाम लगाने के लिए कानून लाने वाली है। कानून के तहत देश में स्वास्तिक जैसे नाजी चिह्न के साथ कई प्रतीकों को दिखाने को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा और ऐसा करने वालों को सजा मिलेगी।

हालांकि, नाजी प्रतीकों के साथ स्वास्तिक जैसे चिह्न जिसे ‘हकेनक्रेज’ कहा जाता है, उसपर कई राज्यों ने पहले से ही बैन लगा रखा है। लेकिन स्वास्तिक के इस्तेमाल पर हिंदू, जैन और बोद्ध धर्म के लोगों को छूट दी गई है।

दरअसल, स्वास्तिक जैसे दिखने वाले ‘हकेनक्रेज’ को कहीं न कहीं हिटलर से भी जोड़कर देखा जाता है। इसी के चलते अमेरिका के मैरीलैंड राज्य ने स्वास्तिक पर भी बैन लगा दिया था, जिसका हिंदुओं ने काफी विरोध किया।

आइए, जानते हैं कि आखिर इन देशों में ‘हकेनक्रेज’ पर बैन क्यों लगाया जा रहा है और यह हिंदुओं के प्रतीक से कैसे अलग है।

दरअसल, स्वास्तिक जैसे दिखने वाले ‘हकेनक्रेज’ को नाजी प्रतीक कहा जाता है।ऐसा इसलिए, क्योंकि जर्मन शासक हिटलर ने यहूदियों के कतलेआम करने वाली नाजी सेना के झंडे पर स्वास्तिक का चिह्न दिया था।उस दौरान हिटलर के शासन में इतनी हिंसा हुई थी कि इसे हिंसा का प्रतीक भी कहा जाने लगा।

हिटलर अपने शासनकाल के दौरान नाजी सेना को आक्रमक दिखाने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपना रहा था। इसके चलते उसने सेना का अलग झंडा लाने का विचार किया। इस झंडे के बीच में एक सफेद गोले में 45 डिग्री झुका हुआ स्वास्तिक जैसा चिह्न था, जिसे ‘हकेनक्रेज’ कहा जाता है।

दरअसल, हिटलर के इशारे पर नाजी सेना ने अपने नए झंडे को हाथ में लेकर कई यहूदियों का कत्लेआम किया था। इसके बाद से इस ‘हकेनक्रेज’ चिह्न को यहूदी विरोधी और नस्लविरोधी कहा जाने लगा। कई जगह ‘हकेनक्रेज’ को हिंसा का प्रतीक भी कहा जाता है। यही कारण था कि कई देशों की सरकारों ने इस पर बैन लगाने का काम किया।

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