नई दिल्ली

कौन हैं सत्यनारायण जटिया, जिन्हें BJP संसदीय बोर्ड में जगह देकर शीर्ष नेतृत्व ने बढ़ाया मान …

नई दिल्ली। भाजपा संसदीय बोर्ड में बुधवार को बड़ा फेरबदल हुआ है। भाजपा की संसदीय बोर्ड से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को निकाल बाहर कर दिया गया है। साथ ही इसके संसदीय बोर्ड में कुछ नए नाम भी जोड़े गए हैं। बोर्ड में मध्य प्रदेश के वरिष्ठ भाजपा नेता सत्यनारायण जटिया को शामिल कर मान सम्मान बढ़ाया गया है। जिसके बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में सियासी हलचल शुरू हो गई है।

बता दें कि सत्यनारायण जटिया ने 1977 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़कर मुख्यधारा की राजनीति में अपना रास्ता बनाया और अपनी पहली राजनीतिक जीत हासिल की थी। 1980 से उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ना शुरू किया था और सात बार सांसद बने। उन्होंने उस दौरान विभिन्न विभाग संभाले। जिसके बाद साल 1998 से 2004 की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहें। 2014 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया था।

सत्यनाराण जटिया भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और औपचारिक संघीय मंत्री भी हैं। उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश से अपनी डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है। उन्होंने आपातकाल अवधि 1972 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और उन्हें एमआईएसए के तहत हिरासत में लिया गया।

हाल ही में सत्यनारायण जटिया चर्चा का विषय बनें थे। दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ दिनों पहले ही एक बच्चे को अपना खास दोस्त बताया था। जो बच्ची मध्य प्रदेश की निकली और सांसद और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण जटिया की पोती है। जटिया अपने बेटे और बहू के साथ प्रधानमंत्री मोदी से मिलने गए थे।

इस दौरान पीएम मोदी बच्चे को गोद में लेकर दुलार रहे थे। पीएम मोदी ने उस दौरान सत्यनारायण जटिया की पोती के साथ तस्वीर इंस्टाग्राम पर शेयर की। जिसमें उन्होंने लिखा था कि लिखा कि मेरा स्पेशल दोस्त हमसे मिलने लोकसभा पहुंचा।

इस बच्ची की नाम रुद्राक्षी है और छह माह की है। जब सत्यनारायण जटिया अपने परिवार के साथ प्रधानमंत्री मोदी से मिलने पहुंचे तो उन्होंने रुद्राक्षी को खूब स्नेह दिया। उस दौरान यह तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी।

अब सियासी गलियारों में इसकी चर्चा है कि उस दौरान जो मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी और सत्यनारायण जटिया की हुई थी उसका फल आज संसदीय बोर्ड की फेरबदल में देखा गया। दरअसल, 2023 में विधानसभा चुनाव मध्य प्रदेश में होने जा रहा है जिससे पहले यह एक बड़ा बदलाव भी कहा जा सकता है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बदलाव भाजपा में होते रहते हैं। हालांकि संसदीय बोर्ड की फेरबदल को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक ट्वीट किया है।

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