लेखक की कलम से

सोशल मीडिया से भटके न युवा पीढ़ी …

आज के दौर में हर व्यक्ति इंटरनेट का उपयोग करता है। तकनीकी विज्ञान ने मानव को दिनबदिन तरक्की के साथ-साथ बहुत सी भौतिक सुख-सुविधाएं प्रदान की है। जिनसे मानव को अपनी दैनिक जीवनशैली में काफी सहूलियत मिली है। इसी तकनीकी विज्ञान की खोज है “सोशल मीडिया” जो आज मानव की दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। आज हर व्यक्ति के दिन की शुरुआत व समाप्ति सोशल मीडिया से होती है। सोशल मीडिया संचार का सबसे बड़ा माध्यम बन रहा है और लोकप्रियता हासिल कर रहा है।

आज हर व्यक्ति मोबाइल या कम्प्यूटर किसी न किसी माध्यम से इंटरनेट का उपयोग कर रहा है। इंटरनेट की खोज एक सूचना क्रांति लेकर आई है। जिसने पूरे विश्व को एकसूत्र में जोड़ने का कार्य किया है और इसमें भी सबसे अहम भूमिका सोशल मीडिया की रही है। आज सोशल मीडिया के माध्यम से विचारों, सूचनाओं, समाचारों इत्यादि को पलभर में पूरी दुनिया के साथ साझा किया जा सकता है। एक बटन दबाते ही हमारे पास बहुत सारी जानकारियां उपलब्ध हो रही हैं।

प्राचीन काल में संचार माध्यमों के अभाव में सूचनाओं या जानकारियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने में काफी समय लगता था लेकिन आज सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से लोगों के सम्पर्क देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक जुड़ने लगे हैं। सोशल मीडिया ने बहुत से लोगों के हुनर को सँवारकर उनके जीवन को एक नई दिशा प्रदान की है। व्यवसायों को बढ़ावा दिया है तो नौकरी तलाशने वालों को रोजगार दिया है। सोशल मीडिया के उपयोग ने लोगों से मेल-जोल बढ़ाने के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक क्षेत्रों में जागरूकता फैलाकर नई क्रांति व बदलाव को भी जन्म दिया है। कई बार संकट के समय सोशल मीडिया ने लोगों की जिंदगियां बचाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

हर विषय-वस्तु के दो पहलू होते हैं एक सकारात्मक तो दूसरा नकारात्मक। आज महिला-पुरूष, बच्चे-बूढ़े सभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने लगें हैं। खासतौर से आज की युवा पीढ़ी पूरी तरह से सोशल मीडिया की गिरफ्त में हैं। एक सर्वे के मुताबिक आज का युवा सप्ताह में औसतन 72 घण्टे सोशल मीडिया पर व्यतीत करता है यानि कि सप्ताह के तीन दिन उसने सोशल मीडिया के नाम कर दिये हैं जो गहन चिंता का विषय है। वैसे तो सोशल मीडिया के बहुत सारे प्लेटफॉर्म्स हैं जिन्हें गिनना मुश्किल है। लेकिन इस आभासी दुनिया के चार धाम फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्वीटर, इंस्टाग्राम की तो हर व्यक्ति दिन में न जाने कितनी बार यात्रा कर रहा है।

आज की युवा पीढ़ी को मोबाइल की लत लग गई है। वो सोते-जागते, उठते-बैठते, खाते-पीते हर समय दिनभर सोशल मीडिया की यात्रा में मस्त रहकर अपना अमूल्य समय गंवा रही है। माना कि सोशल मीडिया पर बहुत सी जानकारियां मिलती हैं, लोगों से सम्पर्क जुड़ते हैं लेकिन यह मत भूलिए कि सोशल मीडिया वो दीमक है जो लकड़ी की तरह आपके अमूल्य समय को खा रहा है, उस समय को जो जीवन में फिर कभी लौटकर नही आयेगा। सोशल मीडिया पर अत्यधिक निर्भरता से शरीर पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ते है। जैसे- आंखों की रोशनी कमजोर होना, सिरदर्द आदि। कम्प्यूटर, मोबाइल आदि से निकलने वाली किरणे भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। सोशल मीडिया के इस आभासी सम्पर्क ने मानव के संवेदनाओं का गला घोंटा है।

आज युवाओं में राष्ट्रीय हितों के साथ-साथ बौद्धिक, आध्यात्मिक, सामाजिक व व्यवहारिक संस्कारों की कमी आने लगी है और वास्तविक रिश्ते-नातों को भूलकर आभासी रिश्तों की दुनिया में जीवन जीने लगे है। जिसके चलते आज की युवा पीढ़ी अवसाद, चिंता व निराशा के गह्वर में डूबती जा रही है। आजकल तो सोशल मीडिया ऑनलाइन शोषण व ठगी का माध्यम भी बन चुका है।

सोशल मीडिया के सकारात्मक व नकारात्मक दोनो पहलुओं में कोई संदेह नहीं है। लेकिन इसका उपयोग यदि बुद्धिमानी से हमारे दैनिक कार्यों व जीवन शैली में संतुलन बनाकर किया जाये तो यह शिक्षा, संचार, व्यवसाय आदि सभी क्षेत्रों में एक वरदान साबित हो सकता है। वरना यह सोशल मीडिया दीमक की भांति आपके अमूल्य समय को व्यर्थ बर्बाद करता रहेगा।

 

©कुमार धर्मी, दौसा, राजस्थान

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