धर्म

यात्रा वृतांत: किसी भी कार्यक्रम का संयोजक बनना आसान नहीं होता। नींद, भूख, सुख ,चैन, आराम बहुत कुछ त्यागना पड़ता है तब कोई कार्यक्रम सफल हो पाता है ….

अक्षय नामदेव। 12 नवंबर कि सुबह नींद कुछ जल्दी खुल गई थी हालांकि देर रात तक काव्यांजलि में शामिल होने और रात होटल में वापसी के बाद सोते-सोते कुछ ज्यादा देर हो चुकी थी। नींद खुलने पर ऐसा लगा जैसे काव्यांजलि की खुम्हारी अभी बाकी ही है। समय देखने के लिए मोबाइल ऑन किया। सुबह के लगभग 4:30 बजे हुए थे। मोबाइल पर प्राप्त मैसेज का अवलोकन करने पर देखा तो भैया गौरव अवस्थी का आज 12 नवंबर के दिन भर के कार्यक्रमों का दिशा निर्देश है। उन्होंने लिखा था ,,,आदरणीय, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी मेला के द्वितीय दिवस पर सुबह 8 बजे होटल के दूसरे माले पर नाश्ते का प्रबंध है।

9 बजे सुबह प्रदर्शनी एवं पुस्तक मेला स्थल पर प्रस्थान करना है। 10 बजे से संगोष्ठी फिरोज गांधी कालेज परिसर में ही शुरू होगी। दोपहर का भोजन संगोष्ठी स्थल पर ही किया गया है। उनके इस मैसेज को पढ़कर मैं कार्यक्रम के संयोजक गौरव अवस्थी की कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए लगाई गई लगन और मेहनत के बारे में सोचने पर विवश हो गया। किसी भी कार्यक्रम का संयोजक बनना आसान नहीं होता। नींद, भूख, सुख ,चैन, आराम बहुत कुछ त्यागना पड़ता है तब कोई कार्यक्रम सफल हो पाता है। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति संरक्षण अभियान के रजत जयंती कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए न जाने कितने महीनों से वह अपनी टीम को जोड़कर मेहनत कर रहे थे। ऐसी अद्भुत संकल्प शक्ति और कार्यक्षमता वाले वैचारिक लोग वर्तमान में कम ही देखने को मिलते हैं।

उनके द्वारा दिए गए कार्यक्रम के अनुसार हम सुबह 9 बजे तैयार होकर होटल के बाहर आ गए बाहर बस हमारा इंतजार कर रही थी। कुछ लोग बस में बैठे थे कुछ बस के नीचे खड़े थे और कुछ के आने का इंतजार हो रहा था। सभी के आने के बाद हमारी बस फिरोज गांधी कॉलेज पहुंची। हम सभी सीधे कॉलेज परिसर में चल रहे पुस्तक मेला एवं प्रदर्शनी स्थल में पहुंचे। 9 नवंबर से प्रारंभ इस पुस्तक मेला एवं प्रदर्शनी का आज 12 नवंबर को समापन था। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति संरक्षण अभियान के रजत जयंती समारोह में आयोजित द्विवेदी मेला में यह पुस्तक मेला एवं प्रदर्शनी भी विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। इस पुस्तक मेला एवं प्रदर्शनी का उद्घाटन 9 नवंबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)रायबरेली के निदेशक प्रो. अरविंद राजवंशी ने राष्ट्रीय फैशन तकनीकी संस्थान निफ्ट रायबरेली के निदेशक डॉ. भारत शाह जी, फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज के प्रबंध मंत्री अतुल भार्गव की उपस्थिति में किया था। हमें जो जानकारी थी उसके अनुसार इस पुस्तक मेला एवं प्रदर्शनी का रायबरेली जिले के विभिन्न शैक्षणिक संस्थान के छात्र छात्राओं युवाओं एवं अध्यापक वर्ग ने 4 दिनों के भीतर भरपूर लाभ उठाया था। प्रबुद्ध वर्ग यह जानता है कि इस तरह का साहित्यिक मेले एवं प्रदर्शनी देखने का अवसर बड़े भाग्य से मिलता है। एक ही स्थान में विभिन्न प्रकाशनों की किताबें एक साथ मिलना। पुस्तक पढ़ने तथा अध्ययन में रुचि रखने वाले लोग इसके महत्व को समझते हैं।

हम सीधे पुस्तक मेला एवं प्रदर्शनी में पहुंचकर एक तरफ से अपनी नजर पुस्तकों पर घुमा रहे थे। पुस्तक पढ़ने एवं लेने के मामले में अपनी-अपनी रुचि और क्षेत्र महत्वपूर्ण होता है इसलिए हमारे सभी साथी अपने अपने हिसाब से पुस्तके खंगाल रहे थे। मैंने इंडियन प्रेस प्रयागराज से प्रकाशित होने वाली सरस्वती पत्रिका के कुछ अंक वहां से खरीदें। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी को जानने वाले सरस्वती के महत्व को कैसे बुला सकते हैं। यह वही सरस्वती पत्रिका है जिसके संपादन के लिए आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी150 रुपए मासिक की नौकरी छोड़कर सरस्वती में 20 रुपए मासिक की नौकरी करना स्वीकार किया था। कुछ किताबें बेटी मैंकला ने भी अपनी रूचि के अनुसार खरीदी। अच्छी-अच्छी किताबों की इतनी लंबी फेहरिस्त थी कि अगर खरीदने लग जाऊं तो बैग की जगह ही भर जाए और ज्यादा किताबें खरीद लेने पर उन्हें घर तक ले जाने की चिंता। इस ऊहापोह में कुछ किताबें ही खरीद कर हमने संतोष किया और फिर परिसर में ही स्थित साहित्यकारों की फोटो प्रदर्शनी देखने लगे। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के जीवन वृत्त सहित अन्य साहित्यिक महापुरुषों की ऐसी प्रदर्शनी जो देखने योग्य थी। निश्चित रूप से प्रदर्शनी को बनाने के लिए काफी मेहनत की गई थी।

कुछ देर वहां रहने के बाद हमें सूचना दी गई कि संगोष्ठी का समय हो चला है इसलिए अब संगोष्ठी सभागार में पहुंचा जाए। रायबरेली का फिरोज गांधी कॉलेज काफी बड़ा है। कॉलेज परिसर में चलते हुए हम सीधे फिरोज गांधी कॉलेज में प्रवेश किए एवं एक बार आंदे से दूसरे बरामदे होते हुए सीढ़ियों पर चढ़कर दूसरी मंजिल पर पहुंचे जहां के एक बड़े कक्ष में पहुंचे जहां संगोष्ठी आयोजित था।

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति संरक्षण अभियान रजत जयंती वर्ष द्विवेदी मेला द्वितीय दिवस 12 नवंबर 2022 शनिवार को फ़ीरोज़ गांधी कॉलेज का वह कक्ष इस बात का साक्षी बना कि इस संगोष्ठी में मैंने पत्नी और बेटी के साथ हिस्सा लिया। ऐसे संयोग जीवन में कम ही बनते हैं।संगोष्ठी का कार्यक्रम मिनट टू मिनट निश्चित था। संगोष्ठी के विचार सत्र में डॉ बद्री दत्त मिश्रविभागाधक्षहिंदी विभाग, फिरोज गांधी कॉलेज, रायबरेली विद्यत जनों का स्वागत किया।वही उद्घाटन संबोधनप्रोफेसर राजमणि शर्मारिटायर्ड प्रोफेसर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने दिया।प्रथम सत्र 11बजे 12:30 बजे तक चलता रहा। इस सत्र का विषय था हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में समन्वय के रास्ते में आने वाली प्रमुख रुकावटें और समाधान । इस विषय पर वक्ताओं ने काफी तैयारी करके आई थी परंतु वक्तव्य का समय निश्चित था तथा 10 मिनट 15 मिनट से ज्यादा बोलने पर वक्ताओं को समय की सीमा की पर्ची थमा दी जाती थी।

मुख्य रूप से जिन विद्वान वक्ताओं के संगोष्ठी में इस विषय पर विचार सुनने को मिले उनमें से श्रीमती डॉ. पद्मावती, चेन्नई ,डॉ ज्योतिमय बाग, कोलकाता ,डॉक्टर प्रकाश मोकाशी,रिटायर प्राचार्य उच्च शिक्षा विभाग पुणे-महाराष्ट्र डॉ वासुदेवन शेष, सहायक प्रोफेसर चेन्नई,शांतनु कुमार, ओडिशा,दिनेश कुमार माली, तालचेर, ओडिशा थे। ज्ञान और विचार से भरे इन वक्ताओं ने अपने उद्बोधन से सभा का ध्यान आकृष्ट किया। उद्बोधन के दौरान समय सीमा को लेकर कुछ नोकझोंक भी हुई परंतु संगोष्ठी का अपना अनुशासन होता है। लगभग 15 मिनट के चाय अवकाश के बाद संगोष्ठी के द्वितीय सत्र 1 प्रारंभ हुआ तथा लगभग 2:30 बजे तक चलता रहा।संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में विशाखा-द्विवेदी युगीन नवजागरण की आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिकता।

इस विषय पर बीज वक्तव्य अश्विनी कुमार शुक्ल बांदा ने प्रस्तुत किया तथा डॉ कौशल नाथ उपाध्यायसेवानिवृत्त प्रोफेसर, जयनारायन व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर , डॉ सत्य प्रकाश तिवारी शिवपुर दीनबंधु इंस्टिट्यूशन कॉलेज, हावड़ा ,डा० वीरेन्द्र निर्झर पूर्व प्रो एवं अध्यक्ष हि विभाग बुरहानपुर, डॉ सुरभि दत्ता, हैदराबाद, तेलंगाना ने अपने जीवंत विचार प्रस्तुत किए। द्वितीय सत्र के बाद कुछ समय भोजन का अवकाश दिया गया तथा भोजन के तुरंत बाद तृतीय सत्र प्रारंभ हुआ। तृतीय सत्र का विषय थ-हिंदी पत्रकारिता में सरस्वती मंडल के रचनाकारों का योगदान जिसके वक्ता मूर्धन्य विद्वान कृपा शंकर चौबे जी,प्रोफ़ेसर महात्मा गांधी हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा,,डॉ कृष्ण कुमार श्रीवास्तव सहायक प्रोफेसर, आसनसोल पश्चिम बंगाल, उमेश चतुर्वेदी वरिष्ठ पत्रकार नई दिल्ली तथा डा० गोपाल कृष्ण शर्मा मृदुल, संपादक चेतना श्रोत लखनऊ रहे जिनके ओजस्वी वक्तव्य एवं विचारों ने श्रोताओं के मन मस्तिष्क को झझकोर कर दिया। संगोष्ठी के समापन सत्र में उड़िया कवि पद्मश्री विभूषित हलधर नाग विशेष रुप से उपस्थित रहे।

शाम लगभग 4:30 बजे तक संगोष्ठी चलती रही । जानकारी बढ़ाने वाली तथा रोचक संगोष्ठी होने के बावजूद भी समय सीमा का ध्यान रखते हुए संगोष्ठी का समापन किया गया। संगोष्ठी की प्रस्तावना आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी संरक्षण अभियान के संयोजक गौरव द्वारा रखी गई तथा आभार प्रदर्शन अध्यक्षअध्यक्ष विनोद शुक्ला ने व्यक्त किया।

 

क्रमशः

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