लेखक की कलम से

महिला है महती इला …

 

महिला है महती इला, बाँटी जग आमोद ।

विधि हरि हर शिशु बन गये ,खेलें तेरी गोद ।।1।।

 

नारी सद्गुण खान है, करता वेद बखान ।

कर सोलह श्रृंगार वो, धरती तीर कमान ।।2।।

 

सहनशक्ति तव भूमि सम,अंबर सम विस्तार ।

श्रेष्ठ , रूप पहचानते, करते हैं सत्कार ।।3।।

 

जिसने अबला जानकर, दिया तुझे है त्रास ।

सुख,वैभव परिवार सह,बनता यम का ग्रास।।4।।

 

भौतिकता ने छिन लिया, नारी सहज सरूप ।

हिलता तेरा हौसला  , मंद पड़े तव धूप ।।5।।

 

©श्रीमती रानी साहू, मड़ई (खम्हारिया)

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