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सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को करारा झटका, आपराधिक केस रद्द करने से इनकार

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को करारा झटका दिया है और उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को रद्द करने से इनकार कर दिया है। पिछले साल फरवरी में मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। लखनऊ में एक साथ चल रहे कई आपराधिक मामलों को रद्द करने से इनकार करने के 17 अगस्त के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को खेड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी अपील पर सुनवाई करते हुए, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा, “हम इस मामले पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए समवर्ती आदेश पारित किए गए हैं।'' शीर्ष अदालत ने अक्टूबर में खेड़ा की याचिका पर नोटिस जारी किया था और मामले में यूपी सरकार और शिकायतकर्ता से जवाब मांगा था। जब मामला सामने आया तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सरकार की ओर से पेश हुए और कोर्ट को बताया कि जवाब दाखिल कर दिया गया है।

अदालत में खेड़ा का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने किया, जिन्होंने मामले को स्थगित करने का तर्क दिया क्योंकि शिकायतकर्ता ने अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया था। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि यह मामला अपील रद्द करने को लेकर है और इसमें जो महत्वपूर्ण है, वह राज्य का जवाब है। तुषार मेहता ने कहा, "मैंने अपना जवाब शुरू से ही उनके पास मौजूद आरोपपत्र के आधार पर दाखिल किया है।" पीठ ने कहा, ''उन्होंने (मेहता) केवल आरोप पत्र पर भरोसा किया है।'' इस पर जैसे ही खुर्शीद ने फिर से सुनवाई टालने की मांग की तो पीठ ने टिप्पणी की, “आप माफी मांगना जारी रख सकते हैं लेकिन इससे क्या किसी अपराध को दूर कर देना संभव है और आप बच जा सकते हैं? क्षमा करें, हम हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप के इच्छुक नहीं हैं।”

बता दें कि पिछले साल 17 फरवरी को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद खेड़ा के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गईं थीं। प्रेस कॉन्प्रेन्स के दौरान खेड़ा ने हिंडनबर्ग के आरोपों के संदर्भ में प्रधान मंत्री मोदी के नाम में दामोदरदास की जगह "गौतमदास" का उल्लेख किया था। उनका इशारा कॉर्पोरेट दिग्गज गौतम अडानी की तरफ था, जिन पर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में स्टॉक हेरफेर और टैक्स चोरी के अनुचित साधनों के इस्तेमाल का आरोप लगाया गया था। तब अडानी समूह ने इन आरोपों को निराधार और बदनाम करने वाला बताया था।  सुप्रीम कोर्ट ने भी बुधवार को एक अलग सुनवाई में इन आरोपों की स्वतंत्र जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया है।

खेड़ा के प्रेस कॉन्फ्रेन्स के बाद असम के हाफलोंग पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था, जिसके आधार पर असम पुलिस ने 23 फरवरी को खेड़ा को दिल्ली हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर लिया था। उसके बाद खेड़ा ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया और उन्हें अंतरिम जमानत मिल गई थी। खेड़ा के खिलाफ उत्तर प्रदेश के वाराणसी और लखनऊ में भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसलिए उन्होंने कोर्ट से सभी प्राथमिकियों को समेकित करने की भी मांग की थी।

मार्च में, शीर्ष अदालत ने सभी एफआईआर को लखनऊ के हजरतगंज में समेकित करने का आदेश दिया था, जहां 20 फरवरी को पहली एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद खेड़ा ने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगते हुए कहा था कि उनका इरादा प्रधानमंत्री का अपमान करने का नहीं था। इस बिना शर्त माफी पर उन्हें शीर्ष अदालत से अंतरिम सुरक्षा दी गई। हालाँकि, उनके खिलाफ जांच जारी रही क्योंकि यूपी सरकार ने दावा किया कि वह इस बात की जांच करना चाहती है कि कांग्रेस नेता को इस तरह का बयान देने की हिम्मत क्यों हुई।खेड़ा के खिलाफ दर्ज एफआईआर आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 500, 504, 505(1)(बी), 505(2) और 120बी के तहत दर्ज हैं। ये मामले  शत्रुता को बढ़ावा देने से लेकर राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा से जुड़े हैं।उन पर ये मामले आपराधिक आरोपों से संबंधित हैं।

 

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