मध्य प्रदेश

स्टूडेंट्स की खुली पोल, फर्जी बोर्ड के जाल में फंसे सूबे के विश्वविद्यालय

भोपाल।

उच्च शिक्षा विभाग ने यूजी और पीजी के प्रवेश पर विराम लगाकर पंजीयन कराने की व्यवस्था शुरू कर दी है। विद्यार्थियों की पात्रता का परीक्षण करने के लिए दस्तावेजों को सूबे के विश्वविद्यालयों में भेजा जा रह है। जहां फर्जी बोर्ड की अंकसूचियों के ढेर लग रहे हैं। विभाग ने उनसे फीस जमा कराकर उन्हें यूजी और पीजी में प्रवेश दे दिए हैं। उक्त फर्जी दस्तावेज पात्रता परीक्षण करने के लिए पहुंचे तो विद्यार्थियों के फर्जीवाडेÞ की पोल खुल गई है। अब उनकी मार्कशीट को कचरे के डिब्बे में डालकर प्रवेश निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

उच्च शिक्षा विभाग की लापरवाही फर्जीवाड़ा करने वालों के लिए द्वार खोल रही है। हालांकि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही अब सूबे के विश्वविद्यालयों में पदस्थ कर्मचारियों ने पकड़ना शुरू कर दिया है। विभाग ने प्रवेश कराने के लिए विद्यार्थियों के दस्तवेजों के सत्यापन का जिम्मा प्रोफेसरों को दिया है। इसके बाद फर्जी बोर्ड और विश्वविद्यालयों की मार्कशीट लेकर विद्यार्थियों ने सूबे के निजी और सरकारी कॉलेजों में प्रवेश लिए हैं। ऐसे कई बोर्ड और विवि की मार्कशीट सामने आई है, जिनका जिक्र विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की सूची में दर्ज नहीं है। ऐसे में विद्यार्थियों की मार्कशीट को फर्जी साबित कर उनके प्रवेश निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। खासकर कुछ फर्जी बोर्ड प्रयागराज में तैयार किए गए हैं। वहीं फर्जी निजी विवि मुंबई से अपनी मार्कशीट देकर विद्यार्थियों को गुमराह करने का कार्य कर रही हैं।

अफसरों पर नहीं कोई जवाबदेही
जानकारी के मुताबिक विभाग ने विद्यार्थियों की मार्कशीट को सत्यापित करने की जिम्मेदारी प्रोफेसरों को दी है। वे फर्जी मार्कशीट को देखे बिना ही सत्यापित कर देते हैं, जिसके कारण विद्यार्थियों के प्रवेश यूजी और पीजी में हो रहा है। अब फर्जी मार्कशीट का भेद खुल गया है, तो सत्यापित करने वाले प्रोफेसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। क्योंकि विभाग ने ऐसा फर्जीवाड़ा करने वाले प्रोफेसर के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी ऐसा कोई मापदंड तैयार नहीं किया है।

तीस बोर्ड फर्जी
यूजीसी ने सत्र शुरू होने के पहले सैकड़ो भर फर्जी बोर्ड और विश्वविद्यालय का नामदर्ज सूची जारी की थी, जिसमें मप्र में एक फर्जी बार्ड जबलपुर में संचालित होना बताया गया था। हालांकि सूची में दर्ज उक्त विवि और बोर्ड के नाम से कोई भी मार्कशीट प्रवेश में सामने नहीं आयी है। वर्तमान में जिन फर्जी बोर्ड और विवि की मार्कशीट सामने आयी हैं। उनका वजूद ही नहीं है। वे विवि और बोर्ड सिर्फ कागजों पर दिखाई दे रहे है। इसके बाद भी ऐसी मार्कशीटों से प्रवेश दिए जा रहे हैं

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