कहती बूंदे बारिश की …
गजल नई छेड़ जाती हैं बूंदे देखो बारिश की
बूंदे देखो बारिश की उमांग नई दे जाती हैं
पत्तों को धो कर नई लहर दे जाती हैं
गिरती बूंदें बारिश की आवाज सुहानी होती हैं
मनभावन सी लगती,बूंदे देखो बारिश की।
खुश आज देखो प्रकृति लहराती सी दिखती हैं
मौसम बड़ा सुहाना सा समेटे यादों की याद दिलाता है
लुका-झुपी बादलों की, विरह को और बढ़ाता हैं
दिल को सुकून देती मदमस्त मौसम की फिजायें हैं
मनभावन सी लगती हैं बूंदे देखो बारिश की
गिरते ही बूंदे जीवन की नई कहानी कहती है
बूंदों की झमाझम आवाजें मचलती दिखाई देती हैं
दिल की धड़कनों में साज दे गीत नया बन जाता हैं
पहचानी सी आवाज प्यारी कोलाहल सा करती हैं
मनभावन सी लगती हैं बूंदे देखो बारिश की
बारिश में प्रियतम तेरी याद न जाने क्यूँ सताती हैं
रिमझिम बूंदों में नहाना बरबस याद दिलाती हैं
गुमसुम सी मैं हो जाती हूँ जब याद पुरानी आती हैं
वे साथ बिताए हुए लम्हे याद तुम्हारी दे जाते हैं
मनभावन सी लगती हैं बूंदे देखो बारिश की
©डॉ मंजु सैनी, गाज़ियाबाद