धर्म

सतगुरु है सफल जीवन के आधार स्तंभ, गुरु को मानने के साथ जरूरी है गुरु की बातों को भी मानना ….

बिलासपुरl टिकरापारा प्रभु दर्शन भवन में ब्रह्माकुमारीज के तत्वाधान में 22 से 24 विशेष 3 दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गयाl इस श्रृंखला में शनिवार को टिकरापारा सेवाकेंद्र संचालिका बीके मंजू दीदी के द्वारा समस्त गुरुओं को नमन वंदन करते हुए उपस्थित साधक व ऑनलाइन जुड़े साधकों को संबोधित करते हुए गुरु पूर्णिमा के महत्व को उजागर किया और गुरु की महिमा को बतलाते हुए कहा कि कहा कि हम सभी के जीवन में एक श्रेष्ठ गुरु का होना अति आवश्यक है गुरु ही वह श्रेष्ठ शिल्पकार हैं जो हमारी कमियों को जानते हुए भी उन कमजोरीयों को खूबि में बदल देने का सामर्थ रखते हैं गुरु ही हमें अंततः सतगुरु से मिलाते हैं जिससे हमें सद्गति प्राप्त होती हैंl

उन्होंने आगे बताया कि जीवन की शुरुआती दौर से लेकर अंत तक गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका हम सभी के जीवन में रहती हैं। सबसे पहले मां होती है प्रथम गुरु। जो हमें जीवन में पहले कदम पर आगे बढ़ना सिखाती है गुरुपूर्णिमा शब्द को समझा जाए तो गुरु +पूर्ण +माँ अर्थात सर्वप्रथम मां ही गुरु है तत्पश्चात गुरु ही पूर्ण माँ है। इन वाक्यों में बहुत भाव भरा हुआ है जिसे हमें आत्मसात करना है। जीवन पर्यंत जिस किसी से भी हम सीखते हैं वह हमारे गुरु हैं।

दूसरी बात जीवन में आध्यात्मिक उन्नति का आधार श्रेष्ठ गुरु का सानिध्य है वर्तमान परिवेश में कई साधक श्रेष्ठ गुरु का चुनाव नहीं कर पाते क्योंकि कहीं ना कहीं वर्तमान समय विकृत वातावरण के प्रभाववश हमारी बुद्धि परिपक्व ना होने कारण उचित गुरु का सानिध्य नहीं ले पाते और मार्ग से भटक जाते हैं अंततः परिणाम दुखमय होता है। वास्तव में देखा जाए तो इस संसार में कोई भी मानव संपूर्ण नहीं है इसलिए सभी गुरुओं ने भी परम सद्गुरु परमात्मा की ओर इशारा किया है गुरु नानक जी ने कहा एक ओंकार निराकार, साईं बाबा ने भी पुकारा सबका मालिक एक, बुद्ध जी ने भी परम ज्योति का ध्यान किया,वास्तव में सभी गुरुओं को राह दिखाने वाला वह परम सतगुरु परमात्मा है संसार के सभी गुरुओं ने परम सतगुरु, सद्गति दाता, परमपिता परमात्मा का ही सानिध्य लियाl सभी का संबंध उस परम शक्ति से है। तो क्यों ना हम भी उस परम शक्ति परमात्मा सतगुरु से अपना गहरा दिल का संबंध जोड़ें और गुरु पूर्णिमा मनाने के साथ ही सतगुरु परमात्मा का कहना भी माने। सदा ही आत्म चिंतन करें, स्व चिंतन करें, परमात्मा का नित्य ध्यान करें और खुद का परीक्षण खुद करें इस संसार में जितना ही सबके प्यारे बनें उतना ही जीवन में न्यारे बनें किसी से उलझें नहीं नहीं, साक्षी रहे,अपकारी

पर भी उपकार करनें की शुद्ध भावना रखें,शुभ भावनाओं से हम सभी का मन सदैव भरा हो,प्राणी मात्र पर दया करें, अपने संकल्प,बोल और कर्म पर विशेष ध्यान दें ऐसा करने से परम सतगुरु परमात्मा सदैव हम पर राजी रहेगा और उनका आशीर्वाद संपूर्ण जीवन पर्यंत हमें प्राप्त होगा और हम सभी सफल जीवन, खुशहाल जीवन, तनाव मुक्त जीवन के वरदानी बन जाएंगे l

Back to top button