लेखक की कलम से
नया साल, नई आशा …
जो आया है, वो जाएगा
जो गया, वो लौट न पाएगा ।
माना ! जो बीता, काला था,
पडा वो हमरे पाला था ।
जो बीत गया उसे जाने दो,
नई ऊर्जा फैलाने दो।
नूतन वर्ष हो, नया हर्ष हो
खुशियां विस्तारित फर्श से अर्श हो
अम्बर में जितने तारे है,
दुगनी चहुँ ओर उजाले हो।
नई आशा से हो ओत प्रोत
हर कोने में हो स्नेह स्त्रोत ।
नव वर्ष की ताजपोशी में ।
स्वागत सबका गर्मजोशी से।
©अनुपमा दास, बिलासपुर, छत्तीसगढ़