लेखक की कलम से
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हरियाली मुबारक …
ओढ़ चुनरिया चली गुजरिया
चली प्रीत की शीत डगरिया
मितवा चलें बसंत के संग
थिरक रही देख धरा का रंग
पगडंडियों पर ओस की बूंदें
मन के सभी विकार को रौंदे
आओ चलें खेत खलिहान
पुकारे दिल से मेरा किसान!
©लता प्रासर, पटना, बिहार