रायपुर

जनवरी के पहले सप्ताह में वामपंथी पार्टियों का मोदी सरकार के खिलाफ अभियान

रायपुर। वामपंथी पार्टियों ने मोदी सरकार के खिलाफ अपने तीखे तेवरों का इजहार करते हुए जनवरी के पहले सप्ताह में सप्ताहव्यापी विरोध कार्यक्रमों को आयोजित करने की घोषणा कर दी है। ये कार्यवाहियां नागरिकता कानून, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और नागरिक रजिस्टर (एनआरपी-एनआरसी) बनाने आदि के जरिये देश के लोगों की नागरिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाने और संविधान के बुनियादी धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर हमले करने के खिलाफ और इस मुद्दे पर हो रहे आंदोलनों पर दमन के खिलाफ, मंदी के कारण आम जनता की बढ़ती मुश्किलों से निपटने में नाकामी के खिलाफ और विभिन्न मजदूरों-किसानों-सामाजिक संगठनों द्वारा 8 जनवरी को आहूत देशव्यापी मजदूर हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद के साथ एकजुटता दिखाने के लिए आयोजित की जाएंगी। इसके पालन में छत्तीसगढ़ में भी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा और भाकपा (माले)-लिबरेशन द्वारा विभिन्न जिलों में संयुक्त रूप से अभियान चलाया जाएगा और धरना-प्रदर्शन, पुतला दहन, सभाओं के जरिये शांतिपूर्ण विरोध कार्यवाहियां की जाएंगी।

आज जारी एक बयान में माकपा के संजय पराते, भाकपा के आरडीसीपी राव तथा भाकपा (माले) के बृजेन्द्र तिवारी ने आरोप लगाया कि केंद्र की संघ संचालित भाजपा सरकार हमारे देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के साथ आम जनता की नागरिकता को धार्मिक पहचान देना चाहती है और इस उद्देश्य से नागरिकता रजिस्टर तैयार करने के पहले चरण के रूप में जनसंख्या रजिस्टर तैयार करना चाहती है, जो देश के संविधान द्वारा स्थापित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक पहचान को नागरिकता का आधार बनाने से देश का बहुलतावादी चरित्र ही नष्ट हो जाएगा।

वाम नेताओं ने मोदी सरकार की ऐसी नागरिकता नीति के खिलाफ हो रहे आंदोलनों पर बर्बर दमन और पुलिसिया हमलों की भी तीखी निंदा की है और आरोप लगाया है कि इस काम के लिए सरकारी संरक्षण में संघी लठैतों का उपयोग किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि देश के सामने जो अभूतपूर्व आर्थिक संकट खड़ा है, उससे आम जनता का ध्यान हटाने के लिए भी यह विभाजनकारी खेल खेला जा रहा है। तीनों वामपंथी पार्टियों ने मजदूर-किसान और कई सामाजिक संगठनों द्वारा 8 जनवरी को प्रस्तावित मजदूर-किसान हड़ताल और ग्रामीण बंद के आह्वान के साथ एकजुटता व्यक्त की है और इन संगठनों द्वारा आम जनता के अधिकारों और आजीविका की रक्षा से जुड़ी मांगों का समर्थन किया है। वाम नेताओं ने घोषणा की है कि वे इस हड़ताल को सफल और व्यापक बनाने के लिए पूरे सप्ताह अभियान चलाने जा रहे हैं।

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