कोरबाछत्तीसगढ़

शासन के आदेश की अवहेलना, कोरबा में एक माह बाद भी सिटी बस सेवा नहीं हुई प्रारंभ

अरबन सोसायटी कर रहा निर्णय लेने में हीला-हवाला

कोरबा (गेंदलाल शुक्ल) । राज्य शासन के आदेश के एक माह बाद भी कोरबा में सिटी बसों का संचालन प्रारंभ नहीं किया गया है और निजी बस संचालकों पर यात्री बस सेवा शुरू करने के लिए बेजा दबाव बनाया जा रहा है। बावजूद इसके कोरबा जिले में सोमवार 6 जून से यात्री बस सेवा शुरू नहीं हो सकी है।

कोविड-19 की वजह से लागू लॉक डाउन में पिछले तीन माह से सभी यात्री बस सेवाएं बंद है। अनलॉक-1 में एक जून 2020 को राज्य शासन ने केवल सिटी बसों को संचालित करने का आदेश दिया था। लेकिन राज्य शासन के आदेश की खुली अवहेलना करते हुए सिटी बसों का संचालन एक माह बाद भी बंद रखा गया है। जबकि सिटी बस संचालन के लिए बनायी गयी सोसायटी का अध्यक्ष स्वयं जिला कलेक्टर है।

नोडल अधिकारी ग्यास अहमद ने बताया कि राज्य शासन ने लॉक-डाउन के नियमों के तहत सिटी बस का संचालन का आदेश दिया है। लिहाजा आधी क्षमता के साथ बसों का संचालन किया जाना है, जो संभव नहीं है। शासन ने किराया दर का पुर्न निर्धारण नहीं किया है। किराया बढ़ाने के बाद अथवा सब सिडी मिलने पर ही सिटी बस का संचालन ठेका कंपनी करेगा। याद रहे कि सिटी बस के लिए राज्य शासन को केन्द्र सरकार एक हजार छः सौ करोड़ रूपये दिये गये थे। उसी राशि से बसें खरीदी गयी है और केवल संचालन की जिम्मेदारी ठेका कंपनी को दी गयी है। कोरोना संकट को ध्यान में रखकर ठेका को निलंबित कर अरबन सोसायटी स्वयं सिटी बसों का संचालन कर सकती है, लेकिन सोसायटी के पास बस सेवा शुरू नहीं करने के लिए रेडीमेड बहाने हैं।

दूसरी ओर सोमवार से निजी बसों का संचालन शुरू होना था। लेकिन निजी बस सेवा भी शुरू नहीं हो सकी है। बस संचालकों का कहना है कि तीन माह से बस सेवा बंद हो जाने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है। आधी क्षमता के साथ बस संचालक संभव नहीं हैं। कम से कम 65 फीसदी क्षमता से बस चलती है, तब संचालन का खर्च निकलता है। इसके बाद बसों की टूट-फूट सहित अन्य खर्चे निकलते हैं। अंत में संचालकों का लाभ हाथ आता है। लॉक डाउन के नियमों के तहत आधी क्षमता में बस चलाने पर संचालन व्यय भी वसूल नहीं होगा।

बिलासपुर के बस संचालक अखिलेश पाठक ने कहा कि दूसरी बड़ी समस्या बिलासपुर-पाली-कटघोरा-कोरबा मार्ग की जर्जर हालत है। सड़क पूरी तरह खत्म हो चुकी है। बसों के चक्के डूब जायें, इतने बड़े-बड़े गड्ढे हैं। बसों में रोज टूट-फूट होगी और बस संचालक इससे होने वाले नुकसान को वहन नहीं कर पायेंगे। बस संचालक बृजेश त्रिपाठी ने कहा कि सड़क सुधार के साथ शासन को टैक्स में भी 25 प्रतिशत की कमी करनी चाहिए। पड़ोसी राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ में टैक्स ज्यादा है। निजी बस संचालकों का भी कहना है कि शासन यदि उचित निर्णय लेकर आदेश जारी करता है और उन्हें लाभ भले नहीं मिले, पर नुकसान नहीं होने दिया जाये, तो वे इस विपरित परिस्थिति में भी बसों का संचालन करने के लिए तैयार हैं।

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