नई दिल्ली

ताज होटल के पूर्व अधिकारी ने याद किया मुंबई अटैक, ‘अतिथि देवो भव: सिर्फ नारा नहीं…

मुंबई। कांग ने यूएनएससी की बैठक में कहा, ”उस शाम, 2,000 मेहमान और कर्मचारी निहत्थे बनाम चार आतंकवादी थे। मेरे स्टाफ ने अपने मेहमानों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी थी। 10-12 घंटे तक स्थानीय पुलिस कर्मियों ने मदद की, जबतक एनएसजी कमांडो नहीं आए।”

26/11 के आतंकवादी हमलों की 14वीं बरसी के महीनेभर से भी कम समय पहले मुंबई के प्रतिष्ठित ताजमहल पैलेस होटल के पूर्व महाप्रबंधक ने उस समय हुई तबाही को याद किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आतंकवाद विरोधी बैठक में बोलते हुए केएस कांग ने अपने कर्मचारियों को याद किया, जिन्होंने हमले के दौरान होटल के मेहमानों को सुरक्षित रखने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी थी। इस साल यूएनएससी की यह बैठक मुंबई में आयोजित की जा रही है।

नवंबर 2008 के उस दिन पर हुए रक्तपात के बारे में विस्तार से बताते हुए, कांग ने कहा कि उस समय उनके कर्मचारियों ने रसोई, रेस्तरां और ताज होटल के गलियारों में अपनी जान गंवा दी थी। उन्होंने कहा, “उन्होंने गोलियां खुद खाईं और एक मानव श्रृंखला बनाई ताकि वे हमारे मेहमानों की रक्षा कर सकें, जिन्होंने हम पर भरोसा किया था।” कांग ने कहा कि भारतीय संस्कृति में लोकप्रिय कहावत “अतिथि देवो भव: (अतिथि भगवान हैं)” उनके लिए सिर्फ एक नारा नहीं है, बल्कि कुछ ऐसा है जिसके द्वारा वे जीते हैं और दुनिया ने इसे उस दिन देखा।

उन्होंने बताया कि उस दिन एक भी कर्मचारी खुद को बचाने के लिए वहां से नहीं भागा। उन्होंने आगे कहा, ”हमें लगा कि हमारे घर पर हमला हुआ है, इसलिए हमें इसका बचाव करना पड़ा। यह ताजमहल हमारे प्यार का स्मारक है।” ताज होटल के पूर्व महाप्रबंधक ने कहा कि आतंकवाद बहुत वास्तविक है और कहीं भी हो सकता है।

मालूम हो कि साल 2008 में 26 नवंबर से लेकर 29 नवंबर तक मुंबई में कई जगह आतंकवादी हमले हुए थे। इन हमलों के दौरान 150 से अधिक लोग मारे गए, जिसमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे। साथ ही पुलिस कर्मियों समेत 300 से अधिक लोग घायल हो गए थे। पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में प्रवेश किया था और कई जगह हमले किए थे।

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