लेखक की कलम से

अगर पीछे हटा यह शिक्षक वर्ग…

आज आंख नहीं फिर भर आया जो देखा उसे, जो है मेरे देश का कर्णधार ! सूत्रधार !युग-निर्माता !

आज फट गई होगी फिर से छाती भारत माता की,

चाहे आज कहीं  रक्त नहीं बहा, तारो-तार जरूर हुई है उम्मीद, आस्था, विश्वास!

जब दरकिनार हुआ वह शिक्षक उसकी सारी मान्यताएं, उसकी शिक्षाएं, और उसकी सारी लियाकत।

कोई पूछे इन सत्ताधारियों को!

अगर पीछे हटा यह शिक्षक वर्ग

तो अपनी पंचवर्षीय योजना में किस विकास को दिखाओगे?

कहां इमारतें खड़ी करोगे कहां नई सड़कें बनाओगे, कैसे करोगे नए पुलों का निर्माण, कैसे करोगे नए स्कूलों कॉलेजों यूनिवर्सिटियों का निर्माण और किसका करोगे उद्घाटन ? कहां से लाओगे डॉक्टर, इंजीनियर!

आज हाथ खींचा जो तुमने अपना! तो भविष्य कभी किसी का साथ न पाओगे।

आज बन आई है अस्मत पर देश के युग निर्माता की!

जो साथ न दिया तो फिर पछताओगे!

अभी तो गांधी का अहिंसात्मक मार्ग अपनाया है!

आने वाले समय में फिर भगतसिंह, चंद्रशेखर और करतार को सामने अपने पाओगे।

मांगा ही क्या है तुमसे, अपना अधिकार ही तो चाहा है।

उसमें भी तुम करते हो आनाकानी,

पर स्मरण रखना अंधेरा एक दिन जरूर छटता है और उम्मीद का नया सूर्य उदय होकर ही रहता है।

परचम तो जीत का अवश्य ही लहराएगा पर बात तो तब होती जब तुम हमराही पर इसे ख़ुशी से खुद ही फहराते और कभी स्वप्न में भी एक शिक्षक को सोचना न पड़ता कि उसकी जिंदगी में यह दिन भी आएगा!

-डॉ.नीलू शर्मा, अध्यक्ष, हिंदी विभाग, गुरु नानक भाई लालो रामगढ़िया कॉलेज फॉर वुमेन, फगवाड़ा, पंजाब।

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