नई दिल्ली

पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप झेल रही भाजपा ने अपनाया कल्याण सिंह का फॉर्मूला, दलितों के भरोसे लड़ रही यूपी का चुनाव …

नई दिल्ली ।  भारतीय जनता पार्टी में गिर रहे पिछड़ों के स्टंप से दहशत में आई पार्टी ने कल्याण सिंह फार्मूले को अपनाया है। इससे पार्टी अपने नीति सिद्धांतों के विपरित दलित और ओबीसी समुदाय के लोगों को पार्टी का प्रत्याशी बनाया है। इसी क्रम में बीजेपी की पहली लिस्ट में 19 दलित समुदाय के लोगों को टिकट मिला है। दरअसल बीजेपी अब उन दलित वोटरों को साधना चाहती है। बीजेपी दलित में सेंध लगाना चाहती है। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि भाजपा इस चुनाव में ओबीसी अथवा दलित चेहर सीएम के लिए सामने रख सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबीरानी मौर्य समेत 19 लोगों को टिकट दिया गया है।

आगामी यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। बीजेपी ने पहले और दूसरे चरण के चुनाव के लिए क्रमाश: 57 और 48 उम्मीदवारों की घोषणा की है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने पहली सूची में वही फॉर्मूला अपनाया है जो कभी कल्याण सिंह अपनाया करते थे। अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी दलित और ओबीसी का मेल बनाकर चुनाव में मिशन-300 प्लस को हासिल करना चाहती है।

विशेषज्ञों और विपक्षी सदस्यों के एक वर्ग ने यह दावा किया है कि ओबीसी समुदाय का बीजेपी से मोह भंग हो गया है। यूपी सरकार के तीन मंत्रियों दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी और स्वामी प्रसाद मौर्य के पाला बदलने के बाद ऐसा लग रहा था कि यूपी में ओबीसी समुदाय अखिलेश की तरफ शिफ्ट हो रहा है। लेकिन भाजपा ने कल्याण सिंह के फॉर्मूले को अपनाते हुए सबसे ज्यादा टिकट ओबीसी समुदाय के विधायकों को ही दिया है ताकि पार्टी के खिलाफ जो माहौल बन रहा है उसका डैमेज कंट्रोल किया जा सके।

बता दें कि इसी फॉर्मूले को बीजेपी ने 1991 में अपनाया था और क्लियर मेजोरिटी मिली थी। ठीक वैसा ही इतिहास 2014 में भी दोहराया गया था जब ओबीसी और दलित समाज की एकजुटता की वजह से सफलता मिली थी। कल्याण सिंह के इस फॉर्मूले का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की बीजेपी की पहली लिस्ट में 44 ओबीसी और 19 दलित को टिकट दिया गया है जो लगभग 60 फीसदी के करीब है।

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