लेखक की कलम से
आहहह..कोरोना काल …
आहह कोरोना काल ।
प्रभु अब तो इसे टाल ।।
वर्किंग वुमन है परेशान
है वर्क फॉर्म होम प्लान
प्लस होम इज होम
जीवन कुछ तो बचे
क्या हो जाएगा होम ?
विपदा से तु निकाल ।
प्रभु अब तो इसे टाल ।।
है हालत बड़ी मजबूर
बाई भी रहती है दूर
मैं दोपाटों में फंसी
क्या यही है नियति ?
कहे घर की मालकिन
पर हूं मैं बेहाल ..
प्रभु अब तो इसे टाल ।।
ये फरमाइशों का दौर
बैठे लिस्ट कर तैयार
एक अकेली बेचारी
पिस रही हूं सरकार
लॉकडाउन या अनलॉक
एक ही रहता है हाल
प्रभु अब तो इसे टाल ।।
कभी फेसबुक कभी वेबीनार
झूम रहे हैं सब मेरे यार
कभी जूम ,कभी गूगल मीट
सब बजा रहे ईंट से ईंट
खड़ी किनारे देखती
मिला न पाऊं ताल ..
प्रभु अब तो इसे टाल
आहहह..कोरोना काल
आहह…कोरोना काल ।।
©डॉ. सुनीता मिश्रा, बिलासपुर, छत्तीसगढ़