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खास खबर : एमपी तो झांकी है महाराष्ट्र अभी बाकी है …

मुंबई { संदीप सोनवलकर } । दिगगज कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया जब दोपहर में बीजेपी दफ्तर में पार्टी में औपचारिक प्रवेश ले रहे थे तो महाराष्ट्र विधानसभा में लंच के बहाने कई मंत्री और नेता केबिन में बंद होकर ये सब देख रहे थे। बीजेपी में विरोधी पक्ष नेता देवेन्द्र फणनवीस के दफ्तर में तो चेहरे चमक रहे थे। दोनों तस्वीर ये साफ दिखा रही थी कि नेताओं के दिल की धकड़ने बढ़ गई है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि ‘एमपी तो झांकी है महाराष्ट्र अभी बाकी है’।

हालांकि कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि यहां आघाडी सरकार को कोई खतरा नहीं है और कांग्रेस मजबूती से सरकार का साथ देगी। सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी लेकिन बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस ने मीडिया से कहा कि सिंधिया के आने से मनोबल बढ़ा है और आगे-आगे देखिये महाराष्ट्र में क्या होता। सचमुच राजनीती संभावनाओं का खेल है। बीजेपी खेमे की माने तो अब नंबर महाराष्ट्र का ही है। राज्य में एक बार मुंह की खा चुकी बीजेपी अब पूरी तैयारी में लगी है और अगले दो दिन में राज्यसभा के नाम तय होते ही तस्वीर साफ भी हो सकती है।  

बीजेपी ने उसको मिलने वाली तीन सीटों में से दो पर नाम रामदास आठवले और उदयनराजे भोसले तय कर लिया है लेकिन तीसरी सीट खाली रखी है। अगर इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस का नाम सामने आता है तो ये महाराष्ट्र की सरकार बदलने की पटकथा का पहला पैरा होगा। दरअसल शिवसेना के नेता अंदरखाने इस बात को मानते हैं कि अगर फणनवीस को दिल्ली ले जाया जाए तो वो बीजेपी के साथ मिलकर फिर से बैठ सकते हैं।

शिवसेना में बीजेपी से ज्यादा फणनवीस से ही खुन्नस है क्योंकि चुनाव में फणनवीस ने ही बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत दिलाने और शिवसेना की सीटें गिराने का खेल खेला था। इतना ही नहीं जब शिवसेना चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए तैयार थी तो फणनवीस शिवसेना को सीएम पद देने से साफ मुकर गए थे। यहीं से फणनवीस और शिवसेना में अदावत शुरु हुई। इस बीच शरद पवार ने सोनिया गांधी से अपील की है कि वो राज्य की सरकार की समीक्षा करने के लिए तुरंत एक बैठक बुलाए, इसका अभी इंतजार हो रहा है। ये बैठक राज्यसभा के उम्मीदवारी की अंतिम तारीख 13 मार्च के बाद ही होगी लेकिन अभी दिल्ली की लीडरशिप सिंधिया के जाने के झटके से ही नहीं उबर रही है अगर बीजेपी ने दूसरा बड़ा झटका दे दिया तो पता नहीं क्या होगा।

कहते हैं कि राजनीति संभावनाओं का खेल है ऐसे में ये भी हो सकता है कि एनसीपी के नेताओँ का भी मन बदल जाए। अभी तो लग रहा है कि शिवसेना भी जानती है कि बहुत दिन सरकार नहीं चलेगी। ऐसे में हो सकता है कि राज्य में भी बदलाव की लहर चल पड़े। वैसे भी उद्धव अभी रामलला का आशीर्वाद लेकर लौटे हैं। कहीं बीजेपी के साथ जयश्रीराम और कांग्रेसएनसीपी को राम-राम ना बोल दें।

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